सिंडिकेट का फरमान, 3 दिन में ऑफिस खाली करें प्रो. चोपड़ा
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट ने शनिवार को फैसला लिया कि ईवनिं
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट ने शनिवार को फैसला लिया कि ईवनिंग स्टडीज विभाग के पूर्व चेयरपर्सन प्रो. विजय चोपड़ा को तीन दिन के भीतर न केवल कमरा खाली करना होगा, बल्कि वो सब सामान लौटाना होगा, जो उन्होंने यूनिवर्सिटी से लिया हुआ है। सिंडिकेट सदस्यों ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया कि चूंकि उनकी री-इंप्लायमेंट जनवरी में समाप्त कर दी गई है, लिहाजा उन्हें तुरंत प्रभाव से ऑफिस छोड़ना होगा। अब न वह यूनिवर्सिटी का सामान व कमरा रख सकते हैं और न ही उन्हें यूनिवर्सिटी सैलरी देगी। सिंडिकेट ने ये भी फैसला किया कि वर्ष 1987 से प्रो. विजय चोपड़ा ने जो भी कथित कारनामे किए और उनके खिलाफ जो भी इन्क्वायरियां हुई, उसकी रिपोर्ट प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से लेकर चांसलर ऑफिस, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय व यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के पास भेजी जाए, ताकि वहां सच्चाई का पता चल सके। इस मामले में हाल ही में चांसलर ऑफिस से वीसी प्रो. एके ग्रोवर को निर्देश आए थे कि वह प्रो. वीके चोपड़ा द्वारा लगाए गए धांधली के आरोपों की जांच कराएं और इस बाबत की गई कार्रवाई बारे ऑफिस को जानकारी दें।
प्रो. चोपड़ा ने उठाया था हॉस्टलों का घोटाला
प्रो. चोपड़ा पंजाब यूनिवर्सिटी के हॉस्टलों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर व्हिसल ब्लोअर थे, जिसके चलते हाल ही में पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उनकी री-इंप्लायमेंट 14 महीने पहले ही समाप्त कर दी गई। प्रो. चोपड़ा ने पूर्व डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. नवदीप गोयल पर आरोप लगाया था कि हॉस्टलों में लाखों रुपये के सामान की खरीद फ्रोख्त हुई, जिसमें प्रो. गोयल के भाई की कंपनी से सामान खरीदकर फायदा पहुंचाया गया। इस मामले की जांच तो पीयू प्रशासन ने रफा-दफा कर दी, लेकिन शिकायतकर्ता प्रो. चोपड़ा को ही निशाना बना दिया।
लीगल नोटिस भेजने के बाद हुई थी हरकत
चांसलर ऑफिस को जब प्रो. चोपड़ा ने लीगल नोटिस भेजा, तो वहां भी हरकत हुई और चांसलर ने अपने ओएसडी को निर्देश दिए कि पीयू प्रशासन को इन शिकायतों की जांच कराने के संदर्भ में लिखें, लेकिन अभी तक इसमें भी खेल हो रहा है। प्रो. चोपड़ा कह रहे हैं कि उनकी अभी 14 महीने की री-इंप्लायमेंट बाकी है, जबकि पीयू प्रशासन कह रहा है कि री-इंप्लायमेंट समाप्त कर दी गई है। प्रो. चोपड़ा की दलील है कि हाईकोर्ट ने अन्य टीचरों के साथ उन्हें भी 65 साल की री-इंप्लायमेंट देकर राहत दे रखी है, तो ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन या सीनेट उनकी री-इंप्लायमेंट कैसे समाप्त कर सकता है? यह कोर्ट की अवमानना का मामला है जिस पर वह आगे कार्रवाई करेंगे।
अब होगी कोर्ट में लड़ाई
पंजाब यूनिवर्सिटी सिंडिकेट के इस फैसले के बाद प्रो. विजय चोपड़ा के पास सिवाय कोर्ट में जाने के कोई रास्ता नहीं बचा है। प्रो. विजय चोपड़ा ने कहा है कि वह चांसलर सहित सभी सिंडिकेट सदस्यों, वीसी व अन्य अफसरों को पार्टी बनाकर अवमानना का केस डालने जा रहे हैं। भ्रष्टाचार व लूट-खसोट के खिलाफ आवाज उठाने पर अगर सजा मिलेगी, तो हिंदुस्तान तो चंद दिनों में ही लुट जाएगा। यूनिवर्सिटी से उन्होंने रोजी रोटी कमाई है, लिहाजा वह इसकी आन-बान-शान को बरकरार रखने के लिए, जो कर सकेंगे, करेंगे।