इस तकनीक से अब पानी की गुणवत्ता को जांचना होगा और भी आसान
पानी की गुणवत्ता को जांचने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने देशभर में नेशनल स्तर पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए जरिये पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए नई तकनीक की जानकारी दी जाएगी।
डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़। नदियों, तालाब आदि में पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए बायो सेंसर नई तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है।इस नई तकनीक से पानी की गुणवत्ता को जांचना अब और भी आसान हो जाएगा। देशभर के गांवों और शहरों के आसपास नदियों, तालाबों में पानी की गुणवत्ता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यह न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि जीव जंतुओं के लिए भी काफी हानिकारक हो रहा है। गंदे पाने के कारण काफी वॉटर स्पीसिस (पानी में पाई जाने वाली प्रजातियां) खत्म होने के कगार पर हैं। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के निर्देश पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा देशभर में सार्वजनिक स्थानों पर पानी की गुणवत्ता को लेकर नेशनल स्तर पर काम शुरू कर दिया गया है।
इस मिशन के तरह सीपीसीबी द्वारा सभी राज्यों में पॉल्यूशन बोर्ड से जुड़े अधिकारियों के लिए खास ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है। पंजाब यूनिवर्सिटी में 20 से 22 नवंबर तक वाटर क्वालिटी को लेकर वर्कशॉप शुरू हुई। देशभर के 11 राज्यों से 35 सीपीसीबी डेलीगेट्स इसमें हिस्सा ले रहे हैं। पीयू और पीजीआइ एक्सपर्ट को इस वर्कशॉप में डेलीगेट्स को पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रयोग होने वाली नई तकनीक के बारे में जानकारी दी जाएगी। वर्कशॉप का उद्घाटन चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी के सेक्रेटरी टीसी नोटियाल ने किया।तीन दिन की वर्कशॉप पीजीआइ स्थित स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खेवाल, पीयू स्थित डिपार्टमेंट ऑफ इन्वायरमेंट स्टडीज की डॉ. सुमन मोर, डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी के प्रोफेसर प्रिंस शर्मा एक्सपर्ट के तौर पर शिरकत कर रहे हैं।
वाटर स्पीसिस से गुणवत्ता की जांच
पीयू आइसीएसएसआर में जारी तीन दिवसीय सेमिनार में विभिन्न राज्यों से आए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्यों को वाटर में स्पीसिस के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिन्हें लैब में टेस्ट के माध्यम से साफ और दूषित पानी के बारे में बताया जाएगा। कार्यक्रम में चंडीगढ़ के अलावा, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और मेघालय राज्यों से भी डेलीगेट्स पहुंचे हैं।
सुखना लेक से लिया पानी का सैंपल
डॉ. सुमन मोर ने बताया कि नदियों, तालाब आदि में पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए बायो सेंसर नई तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है। देशभर से आए सीपीसीबी सदस्यों को मंगलवार सुखना लेक का दौरा करवाया गया। सुखना के पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए सैंपल लिए गए हैं। जिन्हें बुधवार को पीयू स्थित लैब में जांचा जाएगा।
दूषित पानी के बारे में दी जाएगी जानकारी
पंजाब यूनिवर्सिटी के वर्कशॉप आर्गेनाइजर डॉ. सुमन मोर का कहना है कि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा यह वर्कशॉप विशेष तौर पर आयोजित की गई है। जिसमें पीजीआइ और पीयू से जुड़े विशेषज्ञ सीपीसीबी डेलीगेट्स को ट्रेंड करेंगे। वर्कशॉप में प्रेक्टिकल तौर पर दूषित पानी के बारे में जानकारी दी जाएगी।