भगवंत मान बने किंगपिन, नेता प्रतिपक्ष के लिए खैहरा के पक्ष में की लॉबिंग
पंजाब में नेता प्रतिपक्ष के लिए विधायकों की पहली पसंद होने के कारण खैहरा के पक्ष में फैसला आया। उन्हें इस पद पर बैठाने में मान ने अहम भूमिका निभाई।
चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने वीरवार को मजबूरी में सुखपाल खैहरा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला किया है। केजरीवाल के पास कोई दूसरा विकल्प न होने के चलते और विधायकों की पहली पसंद बनने के कारण खैहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाना पड़ा। साथ ही पार्टी के प्रधान भगवंत मान ने खैहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर खासी वकालत की।
इस फैसले की पार्टी की तरफ से आधिकारिक सूचना पांच घंटे बाद भी नहीं जारी की गई। खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनाने की घोषणा के बाद पार्टी में इस बात को लेकर दावेदारों में घमासान शुरू हो गया है कि खैहरा के स्थान पर अब चीफ व्हिप किसे बनाया जाएगा। चीफ व्हिप के लिए कंवर संधू, अमन अरोड़ा व प्रोफेसर बलजिंदर कौर के नामों पर फिलहाल केजरीवाल ने विचार नहीं किया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि आज की बैठक केवल नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर रखी गई थी। खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर मान ने सियासी कूटनीति से काम लिया। मान जानते थे कि ज्यादातर विधायक खैहरा के पक्ष में हैं। इसलिए उन्होंने इसकी कमान अपने हाथों में लेकर एक तीर से दो निशाने किए कि खैहरा भी उनके साथ भविष्य में मिलकर चलें और विधायकों को भी संदेश जाए कि मान उनकी भी सुनते हैं।
खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद आने वाले समय में खैहरा व मान के बीच पार्टी नीतियों को लेकर घमासान होना तय माना जा रहा है। मान कभी नहीं चाहेंगे कि खैहरा उनके अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी करें, लेकिन खैहरा स्वभाव को बदल पाएंगे फिलहाल ऐसा नहीं लगता है। खैहरा विधायकों का भरोसा इसीलिए जीत पाए हैं कि उन्होंने मुखर स्वर में केजरीवाल के फैसले का यह कहकर विरोध किया था कि पंजाब में पार्टी की नीति व रीति पंजाब के कार्यकर्ता तय करेंगे। अगर खैहरा इस पॉलिसी पर चले तो केजरीवाल के साथ भी उनके मतभेद तय हैं। यही वजह है कि खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने के पांच घंटे बाद भी पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई।
खैहरा का परिचय
पिता-सुखजिंदर सिंह-अकाली सरकार में शिक्षा मंत्री रहे हैं।
सियासी सफर: 2006 से 2011 तक जिला कांग्रेस कमेटी कपूरथला के प्रधान रहे हैं।
1997 में यूथ कांग्रेस के उप प्रधान बने।
1999 में पंजाब कांग्रेस के सचिव बने।
1993 में पंचायत सदस्य बने।
1994 में जिला परिषद कपूरथला के सदस्य बने।
2007 में कपूथला के भुलत्थ हलके से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने।
2017 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर भुलत्थ से विधायक बने और पार्टी ने प्रवक्ता तथा चीफ व्हिप की जिम्मेवारी सौंपी। वैसे भी खैहरा अपने तेजतर्रार पर्सनाल्टी के हैं।
विधानसभा में दमदार उपस्थिति
खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद आम आदमी पार्टी विधानसभा के अंदर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा पाएगी। खैहरा स्वभाव से काफी तेजतर्रार नेता हैं और पार्टी में सबसे अनुभवी भी हैं। इसलिए विधानसभा के अंदर आप विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेर पाने में कामयाब रणनीति बना पाएगी। आप विधायकों को एक सशक्त नेतृत्व विधानसभा में मिलेगा।
राणा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं
कांग्रेस खासतौर पर अपने पुराने प्रतिद्वंदी कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह की मुश्किलें खैहरा बढ़ा सकते हैं। खैहरा की पकड़ लीगल मामलों में भी हैं। सरकार व कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चल रहे लीगल मामलों को भी खैहरा प्रमुखता से उठा कर कांग्रेसियों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। पंजाब में पार्टी को खैहरा की इस नियुक्ति का लाभ संगठन के स्तर पर ज्यादा नहीं मिलेगा, लेकिन सरकार के स्तर पर मोर्चे लेने व बयानबाजी में आप आगे निकल सकती है।
खैहरा का कांग्रेस को लाभ
खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें थोड़ी बढ़ सकती हैं। कई मुद्दों पर कांग्रेस फूलका या किसी अन्य आप नेता को विधानसभा में आसानी के साथ घेर सकती थी, लेकिन खैहरा को घेर पाना चुनौतीपूर्ण होगा। दूसरी तरफ खैहरा के उत्तेजक स्वभाव के चलते कांग्रेस आसानी के साथ उन्हें ट्रैप में फंसा सकती है। एक बार खैहरा को विधानसभा से इसी स्वभाव के चलते निलंबित भी किया जा चुका है।
अकाली दल की मुश्किलें कम होंगी
खैहरा के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अकाली दल की मुश्किलें जरूर कम होंगी। सरकार के घेरने का काम खैहरा करेंगे और मुद्दों को अकाली-भाजपा कैश करवाएगी। इतना जरूर है कि कमजोर नेतृत्व के चलते विधानसभा में अनाधिकृत तौर पर विपक्ष की भूमिका अकाली दल के हाथ में अब आने के बजाय आप के हाथों में ही होगी, लेकिन खैहरा भी अकाली दल की सियासत में उलझने से खुद को बचा पाएंगे, यह समय ही बताएगा। फिलहाल खैहरा को अपनों को लेकर साथ चलना होगा।