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पूर्व लोस अध्यक्ष बलराम जाखड़ के निधन से शोक में डूबा अबोहर

पूव्र लोकसभा अध्‍यक्ष बलराम जाखड़ के निधन से पंजाब में शोक है। हर खास व आम उनको याद कर रहा है। उनका गृह क्षेत्र अबोहर तो शाेक में डूब गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2016 10:07 AM (IST)
पूर्व लोस अध्यक्ष बलराम जाखड़ के निधन से शोक में डूबा अबोहर

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बुधवार सुबह नई दिल्ली में निधन से पंजाब में शोक है। खासकर उनका गृह क्षेत्र अबोहर शोक में डूब गया है। वह 93 वर्ष के थे और उनका अंतिम संस्कार वीरवार सुबह 11 बजे उनके पैतृक गांव पंचकोसी में होगा। वह करीब एक वर्ष से ब्रेन स्ट्रोक बीमारी से पीडि़त थे। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में राजनीतिज्ञों के पहुंचने की संभावना है।

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बुधवार को दिनभर गांव पंचकोसी में बलराम जाखड़ के निवास पर शोक जताने वालों का तांता लगा रहा। शहर के विभिन्न संगठनों ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए इसे अपूर्णीय क्षति बताया। बार एसोसिएशन ने शोकस्वरूप बुधवार को कामकाज भी बंद रखा।

पुत्र सज्जन जाखड़, सुरेंंद्र जाखड़ व सुनील जाखड़ के साथ बलराम जाखड़।

बलराम जाखड़ का राजस्थान के साथ भी गहरा नाता था। हालांकि वह पहली बार 1980 में फिरोजपुर से सांसद बने थे, लेकिन इसके बाद जब 1984 में लोकसभा चुनाव पंजाब में नहीं हुए तो उन्हें राजस्थान के सीकर से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया और वे जीते। वह सीकर से दो बार व एक बार बीकानेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते। हालांकि सीकर व चुरू से उन्हें एक-एक बार हार का भी सामना करना पड़ा।

बलराम जाखड़ का राजनीतिक सफर

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष डा. बलराम जाखड़ के निधन से पंजाब ने एक धरती पुत्र खो दिया है। उन्होंने राजनीति में वह मुकाम हासिल किया था जहां विरले ही पहुंचते हैं। आज जब कई दिग्गज शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम न होने के बावजूद ऊंचे पदों की लालसा से बंधे रहते हैं, ऐसे माहौल में भी उन्होंने शारीरिक रूप से सक्षम होते हुए करीब 11 साल पहले सक्रिय राजनीति छोड़कर एक मिसाल कायम की थी। साल 2004 का लोकसभा चुनाव उनका अंतिम चुनाव था।

पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के साथ बलरमा जाखड़।

1972 में अबोहर विधानसभा हलके से पहली बार चुनकर पंजाब विधानसभा पहुंचे डा. जाखड़ ने 1977 में आपातकाल के कारण देश भर में चल रही कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद दोबारा विधानसभा चुनाव जीता। इस पर उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। चार साल पहले जब उनके बेटे सुनील जाखड़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए थे तब सदन के नेता प्रकाश सिंह बादल ने उन्हें बधाई देते हुए बलराम जाखड़ को भी याद किया था।

बादल ने कहा था कि किसी समय इसी सीट पर बड़े चौधरी साहिब भी बैठे थे और उन्हें उम्मीद है कि सुनील जाखड़ भी उनकी तरह ही संसदीय परंपरा निभाएंगे। पंजाब में जाखड़ की कार्यशैली देखकर ही इंदिरा गांधी ने उन्हें 1980 में पहली बार फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव टिकट दिया। उस चुनाव में वह पंजाब के ऐसे एकमात्र सांसद थे जिसे तीन लाख से अधिक वोट मिले थे और सबसे अधिक अंतर से जीते थे।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बलराम जाखड़।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब उन्हें धरती पुत्र बताते हुए उनका नाम लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए प्रस्तावित किया। इसके बाद 1984 उन्होंने सीकर से चुनाव जीता तो राजीव गांधी सरकार के समय भी जाखड़ निर्विरोध लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। वह पहले ऐसे एशियाई लोकसभा अध्यक्ष थे जो कामनवेल्थ पार्लियामेंटेरियन एग्जीक्यूटिव फोरम के चेयरमैन चुने गए थे। वह एशिआई देशों की संसदीय संस्था के भी अध्यक्ष रहे।

बाद में 1991 में जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने डा. जाखड़ को कृषि मंत्रालय का अहम जिम्मा सौंपा। डॉ. जाखड़ का मिलनसार स्वभाव ही था कि विपक्ष के दिग्गज नेताओं के साथ भी उनके संबंध राजनीति से ऊपर ही रहे। चाहे वह लोकसभा अध्यक्ष रहे या केंद्रीय कृषि मंत्री, विपक्ष के तत्कालीन वरिष्ठ नेताओं के साथ उनके प्रगाढ़ संबंध रहे, जो सक्रिय राजनीति से हटने के बाद भी कायम रहे।

उनके पैतृक गांव मौजगढ़ व पंचकोसी के रेगिस्तान में फल उत्पादन का श्रेय उन्हें ही जाता है। यह उनका अनुभव ही था कि वह फसली विविधता की जरूरत को पहचान कर इस इलाके में बागवानी को प्रोत्साहित करने में कामयाब रहे।

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जाखड़ को श्रद्धांजलि

'' चौधरी बलराम जाखड़ के निधन से देश एक संतुलित और अनुभवी नेता से वंचित हो गया है जिन्होंने सदैव साफ-सुथरी और मानवीय मूल्यों पर आधारित राजनीति की। वह किसानी हितों की रक्षा करने वाले अग्रणी नेता बने। चौधरी बलराम जाखड़ एक सदाबहार नेता, योग्य प्रशासक, स्पष्ट सांसद और एक बढिय़ा व्यक्ति थे जिन्होंने विभिन्न स्तरों पर देश की सेवा की। उनका निधन मेरे लिए निजी तौर पर बड़ी क्षति है। जाखड़ परिवार से लंबे समय से मेरे गहरे संबंध हैं जो आज भी अगली पीढ़ी के साथ जारी हैं।

-प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री, पंजाब।
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'' लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डा. जाखड़ ने पूर्ण निष्पक्षता के साथ कार्यवाही का संचालन किया और संसद संग्रहालय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा संसद में कम्प्यूटरीकरण अभियान चलाने के पीछे भी वे ही प्रेरणा स्रोत थे।

- सुखबीर सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री और अध्यक्ष, शिरोमणि अकाली दल।
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'' डा. जाखड़ एक बहुपक्षीय शख्सियत थे जिन्होंने एक राजनीतिक नेता होते हुए अपनी अन्य जिम्मेवारियों को निभाते हुए अपना पूरा जीवन किसान वर्ग को पेश समस्याओं के हल में समर्पित किया। डा. जाखड़ के निधन से राष्ट्रीय राजनीति में हुई क्षति को पूरा करना बहुत कठिन है।
-चरणजीत सिंह अटवाल, स्पीकर, पंजाब विधानसभा।
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'' बलराम जाखड़ के निधन से देश, राज्य व खासकर पार्टी को बहुत बड़ा घाटा हुअा है। जाखड़ एक बड़े नेता थे अौर उनकी कमी लंबे समय तक पार्टी को महसूस होती रहेगी। निजी तौर पर मेरे लिए यह एक बड़ा घाटा है। मैं और मेरी पार्टी इस दुख की घड़ी में जाखड़ परिवार के साथ खड़े हैं।

-कैप्टन अमरिंदर सिंह,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, पंजाब।


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