बचाव पक्ष ने किड की किडनैपिंग से किया इंकार
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : 23 वर्ष पुराने चर्चित फर्जी एनकाउंटर मामले में शुक्रवार को बचाव पक्ष ने सीबीआइ की विशेष अदालत के समक्ष अपनी बात रखी। मामले में आरोपी व एसएसपी (विजीलेंस) सुरजीत सिंह ग्रेवाल के तरफ से वकील ने अदालत के समक्ष दलील पेश करते हुए एनकाउंटर का शिकार हुए कुलविंदर सिंह उर्फ किड की किडनैपिंग से इंकार किया। बचाव पक्ष वकील ने किड के दोस्त सुरजीत सिंह की गवाही को आधार बनाकर अदालत के समक्ष दलील दी। सुरजीत सिंह ने पिछले वर्ष अदालत में गवाही दी थी। बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष सुरजीत की उस गवाही को आधार बनाकर बताया कि 22 जुलाई, 1989 की घटना की रात किड अपने दोस्त सुरजीत सिंह के घर गया था। जहां उसने सुरजीत के पिता सरपंच को पुलिस के समक्ष सरेंडर किए जाने की इच्छा जताई थी। ऐसे में पुलिस पार्टी के किड को 22 तारीख को घर से उठा अपहरण करने की बात गलत साबित होती है। सुरजीत के पिता सरपंच की मृत्यु हो चुकी है। बचाव पक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि आरोप के अनुसार घटना के दिन अगर जब पुलिस पार्टी किड को उसके घर से जबरदस्ती उठाकर ले गई थी तब इसमें शामिल अन्य पुलिस कर्मियों में से किसी की गवाह नहीं ली गई या फिर आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? बचाव पक्ष का यह भी सवाल था कि अगर किड को जिप्पी में बिठाकर ले जाया गया, तो जिप्पी चालक कर्मी की गवाही क्यों नहीं कराई गई? मामले की सुनवाई शनिवार को भी की जाएगी।
क्या था मामला
शिकायतकर्ता त्रिलोचन सिंह सिद्धू की शिकायत पर सीबीआइ ने 24 अगस्त वर्ष 1996 को मामला दर्ज किया था। मोहाली के निकटवर्ती गांव छज्जूमाजरा स्थित खालसा सीनियर सेंकेडरी स्कूल में शिकायतकर्ता प्रिंसिपल थे। शिकायत के अनुसार तत्कालीन इंस्पेक्टर (अब एसएसपी) सुरजीत सिंह ग्रेवाल की अगुवाई में पटियाला पुलिस के सीआइए स्टाफ ने 22 जुलाई, 1989 को मोहाली फेस-5 स्थित उनके मकान 1752 पर रेड कर उनके बेटे कुलविंदर सिंह उर्फ किड को अगवा कर लिया था। मौके पर मौजूद दूसरे युवक कुलविंदर सिंह पोला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में सोहना पुलिस के कुछ कर्मचारियों को भी मिला लिया गया था। आरोप के अनुसार उन्होंने 23-24 जुलाई की रात किड का आतंकी बताकर सोहना के समीप तंगोरी गांव में एकाउंटर कर दिया था। उस समय उसकी उम्र महज 20 वर्ष थी।
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