ट्रकों का किराया तय करेगी पंजाब सरकार
दर्शन सिंह खोखर, चंडीगढ़ ट्रक यूनियनें खत्म करने के बाद पंजाब सरकार अब इस तरफ एक बड़ा फैसला करने जा
दर्शन सिंह खोखर, चंडीगढ़
ट्रक यूनियनें खत्म करने के बाद पंजाब सरकार अब इस तरफ एक बड़ा फैसला करने जा रही है। इसके तहत ट्रकों का किराया सरकार खुद निर्धारित करेगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, जिससे ट्रकों के किराए कम किए जा सकें। इसका प्रभाव यह होगा कि ट्रकों के कारोबार पर मुट्ठी भर लोगों खासकर राजनीतिक लोगों के ट्रकों का कारोबार पर बना एकाधिकार खत्म हो जाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार जल्द ही सरकार ट्रक यूनियनों को खत्म करने और ट्रकों का किराया निर्धारित करने के बारे में नोटिफिकेशन जारी करेगी। जानकारी के मुताबिक ट्रकों के किराए तय करने का अधिकार रीजनल ट्रासपोर्ट अथॉरिटी को दिया जाएगा। ट्रक ऑपरेटरों से संबंधित एक्ट की धारा-77 के अंतर्गत ट्रकों का किराया निर्धारित करने का अधिकार सरकार अपने पास रख सकती है। इस धारा को अब लागू कर दिया जाएगा।
वास्तव में ट्रक यूनियनें मौजूदा पंजाब सरकार के लिए बड़ी सरदर्दी बनी हुई थीं। सत्ताधारियों के हिमायती इन पर कब्जा करने में लगे थे, जिस कारण लड़ाई-झगड़े बढ़ गए थे। कई शहरों की यूनियनों पर ऐसे लोगों ने कब्जा कर लिया था, जिनके पास अपने ट्रक भी नहीं हैं। पंजाब के मालवा खासकर संगरूर, बरनाला, मानसा और बठिंडा में ज्यादातर ट्रक यूनियनों पर सत्ताधारियों ने कब्जा कर लिया है। पंजाब में 123 ट्रक यूनियनें हैं और हर ट्रक यूनियन का अपना किराया होता है। नए ट्रक मालिक को यूनियन का मेंबर बनने के लिए मोटी रकम देनी पड़ती है, लेकिन इसका फायदा यह है कि दूसरे राज्यों के लिए सामान भेजने के लिए ट्रकों के नंबर लगाए जाते हैं और सबको माल ढुलाई का मौका मिलता है। दूसरी तरफ उद्योगपतियों को भाड़ा ज्यादा देना पड़ता है, क्योंकि दूसरे शहरों के ट्रकों को सामान नहीं उठाने दिया जाता है। पिछले 40-50 सालों से ट्रक यूनियनों के झगड़े चले आ रहे हैं और दर्जनों कत्ल भी हो चुके हैं।
हड़ताल पर रहे ट्रक ऑपरेटर
ट्रक यूनियनें खत्म करने के फैसले के विरोध पर बुधवार को पूरे पंजाब में ट्रक ऑपरेटरों ने हड़ताल की। ट्रक यूनियन नेताओं का कहना है कि पंजाब में 123 ट्रक यूनियनें हैं, जिनके साथ 93 हजार ट्रक ऑपरेटर जुड़े हैं। सरकार के इस फैसले के साथ तकरीबन 50,000 ट्रक ऑपरेटरों की रोजी-रोटी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने तर्क दिया है कि ट्रक यूनियनों के अधिक किराए से पंजाब के उद्योग बंद हो गए हैं, लेकिन अमृतसर, लुधियाना, खन्ना और गोबिंदगढ़ जैसे शहरों में तो ट्रक यूनियन नहीं हैं। वहां से इंडस्ट्री शिफ्ट हो चुकी है। ट्रक ऑपरेटरों के नेता टहल सिंह का कहना है कि अगर पंजाब सरकार ने अपना फैसला वापस न लिया तो संघर्ष और तेज किया जाएगा।