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पीयू के हिस्ट्री विभाग की देशभर में पहचान

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : साल 1951 में अस्तित्व में आए पंजाब यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग का देशभर म

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jun 2017 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 01:01 AM (IST)
पीयू के हिस्ट्री विभाग की देशभर में पहचान
पीयू के हिस्ट्री विभाग की देशभर में पहचान

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : साल 1951 में अस्तित्व में आए पंजाब यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग का देशभर में अपना खास रुतबा है। विभाग की गिनती देशभर के पुराने संस्थानों में होती है। एमए हिस्ट्री से लेकर एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई होती है। समकालीन इतिहास के साथ कई अन्य विषयों में भी रिसर्च की जा सकती है। पुरातत्व, मध्य और आधुनिक इतिहास में भी लगातार रिसर्च कंडक्ट की जा रही है। विभाग द्वारा सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन भी किया जाता है। फैकल्टी की तरफ से 80 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। 500 से ज्यादा रिसर्च पेपर रिसर्च जनरल में छप चुके हैं।

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एमए में हैं कुल 55 सीटें

विभाग में एमए कोर्स में 55 सीटें हैं। इनमें से 5 एनआरआइ कोटे के लिए रखी गई हैं। कोर्स की समय सीमा 2 साल है। कोर्स में दाखिले के लिए मेरिट बनेगी। मेरिट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट और क्वालीफाइंग परीक्षा में आने वाले नंबरों को मिलाकर बनेगी। दोनों के पचास-पचास फीसद मा‌र्क्स जुड़ेंगे।

पीएचडी में हैं 15 सीटें

पीएचडी में रिसर्च को लेकर विभाग पूरी तरह से गंभीर है। पुरातत्व, मध्य और आधुनिक इतिहास में पीएचडी में रिसर्च करवाई जाती है। पीएचडी करने की समय सीमा 3 से 6 साल तक है।

जॉब की अच्छी संभावनाएं

चेयरपर्सन प्रोफेसर सुखमणि बल रियार ने कहा कि विभाग में टीचिंग का अपना एक स्तर है। रिसर्च के मामले में भी अपनी एक पहचान है। पढ़ाई के बाद जॉब की भी संभावनाएं हैं।

यह है पढ़ाई के बाद स्कोप

विभाग में पढ़ाई के बाद कई विकल्प मौजूद हैें। स्टडेंट्स रूचि के अनुसार इतिहासकार बन सकते हैं। इसके अलावा टीचिंग में भी जा सकते हैं।


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