बड़ा खुलासा : अस्पताल भेजने से पहले डीसीपी को लिखी थी चिट्ठी
राजेश मलकानियां, पंचकूला दीपक खतरनाक अपराधी है। वह भाग सकता है। पूरी सुरक्षा एवं हथियारबंद गारद
राजेश मलकानियां, पंचकूला
दीपक खतरनाक अपराधी है। वह भाग सकता है। पूरी सुरक्षा एवं हथियारबंद गारद के साथ पंचकूला के नागरिक अस्पताल भेजा जाए। यह चेतावनी पंचकूला पुलिस को जेल प्रशासन की ओर से 15 जून को दी गई थी, लेकिन इसे पंचकूला पुलिस ने कोई अहमियत नहीं दी। इसी का नतीजा था कि दीपक मौका पाते ही पंचकूला पुलिस जवानों की आंखों में मिर्च झोंककर फरार हो गया।
पंचकूला पुलिस को जेल प्रशासन ने दो बार पत्र लिखकर अलर्ट किया था। पहली चिट्ठी 9 जून को लिखी थी, जब उसे 10 जून को चंडीगढ़ में जीएमसीएच सेक्टर-32 में चेकअप के लिए लेकर जाना था। दूसरी चिट्ठी 16 जून को लिखी गई थी। तब आरोपी को 17 जून को पंचकूला के सेक्टर-6 स्थित नागरिक अस्पताल में एमआरआइ के लिए लेकर आना था।
नहीं किए थे पुख्ता प्रबंध
पंचकूला पुलिस को दीपक को बिना हथकड़ी लगाए पंचकूला अस्पताल लाई। उसके साथ हथियारबंद फोर्स भी नहीं थी। रिजर्व बटालियन के तीनों ही कर्मचारी निहत्थे थे। इससे स्पष्ट है कि पंचकूला पुलिस ने जेल प्रशासन के पत्र को मजाक में लिया है।
ऐसे तैयार हुई दीपक के भागने की जमीन
दीपक को घुटनों में कोई समस्या थी। इसके चलते उसने जेल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से चेकअप करवाया था। वहां से उसे सिविल अस्पताल अंबाला रैफर कर दिया गया। वहां से दीपक को जीएमसीएच सेक्टर-32 में इलाज की सलाह दी गई। दीपक को पंचकूला पुलिस जीएमसीएच ले गई। जीएमसीएच के डॉक्टरों ने एमआरआइ करवाने की सलाह दी। जीएमसीएच में ही एमआरआइ विभाग ने दीपक को 20 अगस्त का समय दिया था। दीपक ने 15 जून को डिप्टी जेल सुपरिंटेडेट (प्रशासन) विशाल छिब्बर को एक एप्लीकेशन देकर कहा कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है और अपने खर्च पर एमआरआइ करवाने को तैयार हूं। छिब्बर ने उसी दिन मेडिकल ऑफिसर डॉ. बलविंद्र को उसकी एप्लीकेशन मार्क कर दी। डॉ. बलविंद्र ने भी एप्लीकेशन पर जल्दीबाजी दिखाते हुए दीपक को 17 जून को ही नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 से एमआरआइ करवाने की इजाजत दे दी। क्योंकि अंबाला अस्पताल में एमआरआई की सुविधा नहीं है। इसके बाद विशाल छिब्बर ने पंचकूला पुलिस को दीपक को कड़ी सुरक्षा में ले जाने को कहा।
इन पर गिर सकती है गाज
जेल विभाग हरियाणा के अतिरिक्त आइजीपी डॉ. हरीश कुमार रंगा ने दीपक के भागने के बाद जेल प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाही की जांच करवाई। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दीपक के भागने के पीछे डिप्टी जेल सुपरिंटेडेट और मेडिकल ऑफिसर की जल्दबाजी कारण है। इसलिए मामला बहुत ही गंभीर है। रिपोर्ट के अनुसार दीपक का हड्डियों के रेडियोलॉजी विभाग में चेकअप करवाया था। वहां 20 अगस्त को एमआरआइ के लिए डेट मिली थी, तो जल्दबाजी क्यों की गई। रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी जेल सुपरिंटेडेट ने दीपक की एप्लीकेशन को सही से एग्जामिन नहीं किया और डॉक्टर ने बहुत जल्दबाजी दिखाई। रिपोर्ट हरियाणा के गृहसचिव को सौंप दी गई है।
वर्जन
मेरे पास रिपोर्ट आ गई है। इसे पढ़ने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। यदि किसी ने लापरवाही बरती है, तो उस पर कार्रवाई जरूर होगी।
- रामनिवास, गृहसचिव