जजों के आवास मामले में भेदभाव क्यों : हाईकोर्ट
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हाईकोर्ट के एडिशनल जजों के सरकारी आवास के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने आइटी पार
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हाईकोर्ट के एडिशनल जजों के सरकारी आवास के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने आइटी पार्क का जो प्रस्ताव तैयार किया है उस पर हाईकोर्ट ने प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि सेक्टर-10 में खाली पड़ी जगह क्यों नहीं तय की जा सकती है ।
जस्टिस सूर्यकात एवं जस्टिस सुदीप आहलुवालिया की खंडपीठ ने प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग काउंसलर सुवीर सहगल को फटकार लगाते हुए कहा कि पूर्व चीफ जस्टिस जोकि एक संवैधानिक पद है उसे आप सेक्टर-39 में जाने के लिए कह देते हो लेकिन कोई सूचना आयुक्त आए तो उसे सेक्टर-5 में घर अलॉट कर रहे हैं, यह कैसी नीति है। लिहाजा हाईकोर्ट ने सहगल को निर्देश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई पर इस मामले में एक पारदर्शी नीति के साथ हाईकोर्ट में पेश हों, नहीं हाईकोर्ट खुद इस मामले में संज्ञान लेगा।
प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि शहर में जजों के सरकारी आवास की कमी है। इसके लिए आइटी पार्क में अलग से एक सिक्योर ब्लॉक की योजना बनाई गई है। यह योजना प्रशासक के स्तर पर ही बनाई गई है। इसके बारे में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को 20 मार्च को एक रेफरेंस भी भेजा जा चुका है। पिछली सुनवाई पर ही हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से पूछा था कि सक्ेटर-10 के ले-आउट प्लान के तहत जो जगह टाइप-2 और टाइप-5 के आवास के लिए तय है वहा क्या अन्य एडिशनल जजों के आवास बनाए जा सकते हैं। जबकि इसी जगह पर पाच जजों के आवास बनाए गए हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रशासन को अपना स्टैंड स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे ।
अगली बार पारदर्शी नीति के साथ पेश हों
सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन यह तो मानता है कि शहर में जजों के आवास की कमी है लेकिन सेक्टर-10 में जजों के आवास के मामले में प्रशासन ने कोई जानकारी ही नहीं दी। लिहाजा हाईकोर्ट ने प्रशासन को मामले की अगली सुनवाई पर एक ठोस और पारदर्शी नीति के साथ हाईकोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए।