डिग्री मिलते ही सपनों को लगे पंख
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पीयू के दीक्षांत समारोह में सालों की पढ़ाई के बाद जब विद्यार्थियों को डिग
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पीयू के दीक्षांत समारोह में सालों की पढ़ाई के बाद जब विद्यार्थियों को डिग्रियां मिली तो उनके सपनों को मानो पंख लग गए हों। किसी ने इसे जीवन का सबसे अच्छा दिन बताया, तो किसी ने अपने सपने को पूरा होना बताया। कोई अपने परिवार के साथ पहुंचा हुआ था तो कोई अपने बच्चों के साथ। बावजूद इसके पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया और सिर्फ डिग्री हासिल के लिए चार-पांच साल तक किताबों से माथापच्ची की।
अच्छा टॉपिक मिला तो पीएचडी करने को हुआ प्रेरित
अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री पाने वाले शशिकांत ने बताया कि मेरी उम्र इस समय 58 साल है। मैंने 1981 में एमफिल की थी। मौजूदा समय में पीजीजीजीसी सेक्टर-11 में एसोशिएट प्रोफेसर हूं। कई सालों से बच्चों को पढ़ा रहा हूं, इसलिए विषय पर अच्छी खासी पकड़ है। पीएचडी में अच्छा टॉपिक मिला तो इसे पूरा करना का मन हुआ। पीएचडी में मैंने ग्लोबलाइजेशन के बाद देश में बढ़ती आर्थिकता समानता के विषय पर रिसर्च की, जिसका शोध करने में मुझे काफी मजा आया।
वुमन स्टडी पर की पीएचडी
वुमन स्टडी में पीएचडी करने वाले परमिंदर कौर ने बताया कि वह मालवा इलाके से हैं। वह सालों से महिलाओं के लिए काम करने वाले एनजीओ से जुड़े हुई हैं। ग्रामीण इलाकों में महिला की मौजूदा क्या स्थिति है, रोजगार और कृषि में उनका क्या योगदान है, इस विषय पर रिसर्च की है। मेरी रिसर्च काफी विस्तृत है और मैं कोशिश करुंगी कि इसका फायदा गांव में रहने वाली महिलाओं को मिले।
फिटनेस और कोऑर्डिनेशन नहीं होने से पिछड़ा फुटबॉल
पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले बजिन्द्र सिंह ने बताया कि वह पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में फिजिकल एजुकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। पीएचडी में उन्होंने नॉर्थ इंडिया के फुटबॉल प्लेयर पर रिसर्च की है। उन्होंने बताया कि फुटबॉल में भारतीय खिलाड़ी इसलिए बेहतर नहीं कर पाते क्योंकि उनकी कोचिंग में सुधार की आवश्यकता है, खिलाड़ियों की फिटनेस और मैदान में कोऑर्डिनेशन बेहतर हो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
छोटे बच्चों के साथ शोध करने में हुई दिक्कत
एनवायरमेंट स्टडी में पीएचडी की डिग्री करने वाली साक्षी शर्मा ने बताया कि छोटे बच्चों के साथ डिग्री पूरी करने में काफी दिक्कत हुई। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और पूरी लग्न से अपने शोध कार्य को पूरा किया।
संगीत को समझने के लिए पढ़ाई जरूरी
म्यूजिक एमए की गोल्ड मेडलिस्ट गुरजीत कौर ने बताया कि बचपन से मेरी रूचि संगीत में थी, इसलिए मैंने इस विषय को चुना। गुरजीत ने बताया कि म्यूजिक की बारीकियों को समझने के लिए पढ़ाई जरूरी है और इससे आप बहुत कुछ नया सीखते हैं।