Move to Jagran APP

व‌र्ल्ड चैंपियनों की यूटी में नहीं कोई पूछ

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : करीब पंद्रह वर्ष हो गए होंगे, जब भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने अंतिम बार व‌र्

By Edited By: Published: Fri, 09 Dec 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2016 01:00 AM (IST)
व‌र्ल्ड चैंपियनों की यूटी में नहीं कोई पूछ

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : करीब पंद्रह वर्ष हो गए होंगे, जब भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने अंतिम बार व‌र्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की थी। होबार्ट में इतिहास रचने वाली उस भारतीय टीम में शहर के दो पूर्व खिलाड़ी राजपाल सिंह और इंद्रजीत चड्ढा जैसे खिलाड़ी शामिल थे। उस समय व‌र्ल्ड कप ट्रॉफी की जीत इन दोनों खिलाड़ियों को उचित सम्मान और रोजगार नहीं दिला पाई। व‌र्ल्ड कप चैंपियन बनकर भी इनका दामन खाली रहा। खास बात यह थी कि यह दोनों खिलाड़ी वर्तमान भारतीय सीनियर टीम के सदस्य धर्मवीर और रूपिंदर की तरह किसी पेशेवर अकादमी से प्रशिक्षित नहीं थे, बल्कि शहर के स्कूल और सेंटर में इन्होंने हॉकी स्टिक पकड़नी सीखी थी। राजपाल को आगे चलकर भारतीय टीम की अगुआई करने का मौका मिला था। लेकिन अपने मूल शहर में उपेक्षा का शिकार रहे।

prime article banner

रोजगार का अभाव करता है पलायन को मजबूर

रोजगार का अभाव प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को शहर से पलायन करने के लिए मजबूर कराता रहा है। प्रशासन की नीति का असर यह है कि ये दोनों खिलाड़ी शहर के होकर भी शहर का हिस्सा नहीं रह गए हैं। राजपाल सिंह तो बतौर डीएसपी पंजाब पुलिस में कार्यरत हैं, जबकि इंद्रजीत इंडियन ऑयल में नौकरी कर रहे हैं। खेल कोटे से नौकरी का अभाव और आधुनिक पेशेवर ट्रेनिंग खिलाड़ियों को अन्य राज्यों की ओर कूच करने के लिए मजबूर करती रही है।

2001 में बनी थी पहली और अंतिम बार चैंपियन

भारतीय जूनियर हॉकी टीम 37 वषरें के इतिहास में अब तक 2001 में पहली और अंतिम बार चैंपियन बनी थी। उस टीम के राजपाल और इंद्रजीत सदस्य थे।

यूटी में स्पो‌र्ट्स पॉलिसी नहीं है, मेरा तो इस बात को लेकर यहां पर पूर्व के खेल अधिकारियों से मतभेद भी रहा , हम तो स्कूल स्तर पर खेल करते थे, क्यों कि अब यहां अकादमी है, इसलिए लोकल स्तर पर यहां का कोई भी खिलाड़ी जूनियर व‌र्ल्ड कप टीम में नहीं है, जहां अकादमी होगी वहां यह समस्या होगी, अकादमी होने की वजह से स्कूल स्तर पर एक ही टीम रह जाती है।

-राजपाल सिंह पूर्व भारतीय हाकी कप्तान

हमें तो हैरानी होती है चंडीगढ़ के लिए इतना खेलकर भी वो सम्मान नहीं मिल सका, नौकरी की बात तो दूर, हमें दीवार पर टांगने के लिए महज सर्टिफिकेट के साथ एक स्टेट अवार्ड दे दिया, जिसका कोई बेनिफिट नहीं था, हम सम्मान के भूखे नहीं लेकिन अगर कुछ बड़ा टूर्नामेंट जीतकर आ रहे हैं तो इस तरह से सम्मान करें ताकि हौसलाअफजाई और दूसरे खिलाड़ियों के समक्ष एक उदाहरण पेश हो सके।

-इंद्रजीत चड्ढा, पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.