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कैंथ को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जमानत मिली, एफआइआर होगी खारिज

जागरण संवाददाता , चंडीगढ़ : हल्लोमाजरा में एक विधवा महिला का प्लाट हड़पने के आरोप में फंसे भाजपा पार्

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 01:00 AM (IST)
कैंथ को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जमानत मिली, एफआइआर होगी खारिज

जागरण संवाददाता , चंडीगढ़ : हल्लोमाजरा में एक विधवा महिला का प्लाट हड़पने के आरोप में फंसे भाजपा पार्षद सतीश कुमार कैंथ को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न सिर्फ उनकी जमानत मंजूर कर ली, बल्कि उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर खारिज करने के आदेश भी जारी किए। सतीष कैंथ को यह राहत निचली अदालत में उनके व प्रतिवादी पक्ष के बीच समझौता हो जाने के आधार पर मिली। हाईकोर्ट में कैंथ की याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्देश जारी किए थे कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में समझौता करके हाईकोर्ट को जानकारी दे।

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फैसला निचली अदालत को भेजा गया

सतीश कैंथ के वकील करणवीर सिंह खेहर ने बताया कि हाईकोर्ट ने शुक्त्रवार को कैंथ की जमानत स्वीकार करने के साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर भी रद्द करने के आदेश जारी किए। उन्होंने बताया कि यह फैसला निचली अदालत के समक्ष भेज दिया गया है ताकि निचली अदालत सतीश कैंथ की रिहाई के आदेश जारी कर सके।

फरीदाबाद की महिला की प्रॉपर्टी पर कब्जे का था आरोप

उल्लेखनीय है कि सतीष कैंथ पर आरोप था कि उन्होंने बिमला देवी के हल्लोममाजरा में मौजूद 5 मरले के प्लॉट पर कब्जा किया है। बिमला देवी ने शिकायत में कहा कि वह व उनका परिवार फरीदाबाद में रहता है। पीड़ित महिला का बेटा अरुण गुप्ता प्लॉट देखने आता रहता था। जब वह काफी समय बाद आया तो उसके प्लॉट पर पूरा मकान बना था। सतीश कैंथ ने उस प्लॉट पर दोमंजिला मकान बना लिया था। पीड़ित ने आरोप लगाया था कि कैंथ ने धोखे से प्लॉट पर कब्जा कर मकान बनाया है। इस मामले में सेक्टर-31 पुलिस ने 14 मार्च को कैंथ के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने व धोखाधड़ी की धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी।

गिरफ्तारी से बचने के लिए लगाई थी अग्रिम जमानत

कैंथ ने गिरफ्तारी के बचने के लिए पहले निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका भी लगाई लेकिन वह याचिका खारिज हो जाने के बाद कैंथ ने आखिरकार निचली अदालत में समर्पण कर दिया था। अब उनका दूसरे पक्ष के साथ समझौता हो जाने के बाद उनके खिलाफ यह मामला समाप्त हो जाएगा।


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