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महापौर चुनाव के लिए काग्रेस-भाजपा का प्रचार शुरू

महापौर चुनाव-2016 नेताओं की प्रतिष्ठा लगी दांव पर मनोनीत पार्षदों को रिझाने का अभियान जारी केव

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 11:45 PM (IST)
महापौर चुनाव के लिए काग्रेस-भाजपा का प्रचार शुरू

महापौर चुनाव-2016

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नेताओं की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

मनोनीत पार्षदों को रिझाने का अभियान जारी

केवल भारती, चंडीगढ़:

जनवरी के पहले हफ्ते होने जा रहे महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा ने अघोषित प्रचार शुरूकर दिया है। दोनों दलों का मुख्य फोकस मनोनीत पार्षदों पर है। नया महापौर किस दल का होगा यह नगर निगम में नौ मनोनीत पार्षदों पर निर्भर करता है। इस लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही चाय पार्टी और डिनर डिप्लोमेसी से मनोनीत पार्षदों को रिझाने की शुरुआत कर दी है।

कांग्रेस ने जहां खाने पर मनोनीत पार्षदों को बुलाया। वहीं, भाजपा अध्यक्ष टंडन ने चाय पर चुनावी समर्थन मांगा। जोड़तोड़ की इस राजनीति में भाजपा और कांग्रेस नेता एक दूसरे की कमजोर कड़ियां तलाश कर रहे हैं। चार कांग्रेस पार्षदों को भाजपा में मिलाने के बाद अभी भी अभियान जारी है, चुनाव से पहले भाजपा की कोशिश है कि कांग्रेस के एक दो पार्षद यदि उसके साथ मिल जाएं तो उसे मनोनीत पार्षदों के आगे घुटने टेकने की जरूरत न पड़े। उन्हें लग रहा है कि मनोनीत पार्षदों के तेवर और नखरे बर्दाश्त से बाहर होते जा रहे हैं। खरीदो फरोख्त में माहिर अल्पमत कांग्रेस भी गुटों में विभाजित भाजपा की कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। भाजपा के 14 पार्षदों और एक सांसद के मुकाबले काग्रेस अपने आठ पार्षदों के बलबूते महापौर चुनाव जीतने का दावा कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि पिछले सालों की तरह इस बार भी मनोनीत पार्षदों के समर्थन से उनका उम्मीदवार विजयी होगा। यही नहीं भाजपा से क्रास वोटिंग की उम्मीद भी रखे हुए हैं।

निगम में सत्तारूढ़ कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए एडी चोटी का जोर लगाए भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन की कोशिश है कि 14 साल के लंबे इंतजार के बाद उनके उम्मीदवार के रुप में अरुण सूद हरहाल में महापौर का चुनाव जीते। जबकि कांग्रेस नेता पवन बंसल और प्रदीप छाबड़ा मुकेश बस्सी के रुप में अपने उम्मीदवार को महापौर के रुप में देखना चाहते हैं और भाजपा को एक बार फिर से मात देने की कोशिश कर रहे हैं। उसे उम्मीद है कि दो बसपा, एक निर्दलीय और 9 मनोनीत पार्षदों के बलबूते इस बार भी उसकी नैया पार लग जाएगी।


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