रोशनी की किरण बने डॉ. अमोद गुप्ता पीजीआइ से रिटायर
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ पीजीआइ के एडवांस आई सेंटर में 42 साल तक बतौर डाक्टर सेवा देने वाले और
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़
पीजीआइ के एडवांस आई सेंटर में 42 साल तक बतौर डाक्टर सेवा देने वाले और विशिष्ट सेवा के बल पर पदमश्री हासिल करने वाले डॉक्टर अमोद गुप्ता सोमवार को रिटायर हो गए। उन्होंने आप्थेलमोलॉजी में क्लीनिकल रिसर्च की जिसकी बदौलत उन्हें देश विदेश में ख्याति हासिल हुई। खासतौर से उन्होंने रेटिनल और यूविअल डिजीज के क्षेत्र में काम किया है। आप्टिल कोहोरेंस टोमोग्राफी डायबेटिक रेटिनोपैथी एंड यूवेआइट्स टेक्सट एंड इमेजिंग पर लिखी किताब आज देश दुनिया में पढ़ी जा रही है। डॉ. अमोद गुप्ता ने 1990 में आंखों के इलाज के लिए उच्च तकनीकों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। उत्तर भारत में रेटिनल डिजीजिज में विट्रो रेटिनल सर्जरी शुरू करने वाले वह पहले शख्स थे। उन्होंने यूवेआइटिस और इंट्रो ऑक्यूलर इनफ्लामेशन के क्षेत्र में सुपरस्पेशियेल्टी शुरू की। यूवेआइट्स सोसाइटी आफ इंडिया के वह फाउंडर प्रेसिडेंट बने। ऑक्यूलर टीबी में उन्हें इंटरनेशनल लीडर माना गया और उन्हें इंटरनेशनल यूवेइट्स स्टडी ग्रुप के लिए चुना गया। उन्होंने नई बीमारी ट्यूबरक्यूलर सरपिजीनसलाइक कोरोआइडीइट्स का पता लगाया और इससे होने वाले अंधपन का पता लगाकर लोगों को बचाया। इससे पहले इस बीमारी को लाइलाज माना जाता था। डिपार्टमेंट आफ बायो टेक्नोलॉजी की ओर से इन्हें 5 करोड़ रुपये की राशि दी गई जिससे पीजीआई के एडवांस आई सेंटर में इन्होंने सेंटर आफ एक्सीलेंस फार स्टडी आफ इंट्रा आक्यूलर इनफ्लामेशन सेटअप किया। वर्ष 2014 में उन्हें राष्ट्रपति से पदमश्री हासिल हुआ।
एडवांस आई सेंटर डा. गुप्ता की देन
पीजीआइ को एडवांस आई सेंटर उन्हीं की देन है और यहां फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर की रिसर्च, ट्रनिंग और पेशेंट केयर चल रही है। डॉ. अमोद गुप्ता मूल रूप से करनाल के रहने वाले हैं। 1973 में उन्होंने पीजीआई में ज्वाइन किया था। और रिटायरमेंट तक छोटी बड़ी करीब 40 हजार सर्जरी की। मेडिकल जगत में उनका देश विदेश में नाम था। पीजीआई में वह डीन के ओहदे तक पहुंचे हालांकि उन्होंने डायरेक्टर के पद के लिए भी आवेदन किया था। बीते 25 साल के दौरान डा. अमोद गुप्ता ने कई नई बीमारियां खोजी। इन्हें कैसे काबू किया जाना है इस पर भी रिसर्च की। आज यह बीमारियां मेडिकल जगत में पूरी तरह कंट्रोल में हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी कई रिसर्च को मान्यता प्राप्त है। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय जर्नलों में उनके 308 से ज्यादा पेपर प्रकाशित हुए हैं। इनका एच इंडेक्स 28 है।