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शिव भक्ती में रमे भोले भंडारी के भक्त

राजेश मलकानियां, पंचकूला सावन का महीना शुरू होते ही शिव भक्तों का उल्लास देखते ही बन रहा है। स

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 07:29 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 07:29 PM (IST)
शिव भक्ती में रमे भोले भंडारी के भक्त

राजेश मलकानियां, पंचकूला

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सावन का महीना शुरू होते ही शिव भक्तों का उल्लास देखते ही बन रहा है। सावन का महीना एक अगस्त से शुरु हो चुका है और इसके साथ ही भोले के भक्तों में नया जोश और उमंग भरना शुरु हो चुका है। शिव भक्त कावड़ यात्रा के लिए तैयारी में जुटे हैं और अब पूरे महीने हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई देगी। सावन भगवान शिव का महीना माना जाता है और इस महीने में शिव की पूजा के लिए विशेष फलदायी होती है। पंचकूला के मंदिरों में भगवान शिव के सावन महीने को लेकर विशेष प्रबंध किए जा रहे है। सबसे बड़ा मेला महादेवपुरा स्थित सकेतड़ी मंदिर में लगेगा। श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे है।

सकेतड़ी मंदिर में विशेष प्रबंध किए

सकेतड़ी स्थित शिव मंदिर में कांवड़ शिवरात्रि को लेकर प्रबंध किए गए है। सावन महीने के दौरान लोगों को खीर मालपूड़े एवं दूध का प्रसाद दिया जाता है। मंदिर कमेटी के सदस्य राकेश संगर और रमेश नारंग ने बताया कि मंदिर में कांवड़ियों के लिए विशेष प्रबंध किए गए है। महादेवपुरा सकेतड़ी मंदिर में डेढ़ से दो हजार कावड़ियों के खाने-पीने से लेकर ठहरने तक की व्यवस्था की गई है।

आज जत्था होगा रवाना

शिव कांवड़ महासंघ की ओर से 10 लोगों का एक जत्था सोमवार को कांवड़ लेने के लिए रवाना होगा और उनके साथ एक एंबुलेंस भी जाएगी, जोकि उनको यात्रा के दौरान होने वाली परेशानी में सुविधा देगी। इसके अलावा महासंघ की ओर से कांवड़ियों के लिए एक कैंप भी लगाया जाएगा, जिसमें उन्हें दूध केले एवं अन्य प्रसाद दिया जाएगा।

इसलिए है सावन का महत्व

माना जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने सागर मंथन से प्राप्त हालाहल विष का पान किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। विष के प्रभाव से भगवान शिव व्याकुल होने लगे थे और मूर्छित हो गए थे। शिव जी की मूर्छा दूर करने के लिए देवतागण शिव जी को जल से स्नान कराने लगे इसलिए सावन में भगवान शिव को कावड़ चढ़ाना विशेष पुण्यदायक माना जाता है। इसलिए शिव भक्त कांवड़ लेकर अपने प्रिय भगवान को जल चढ़ाते है।

पीपल पूजन से विशेष लाभ

पंडित देवेंद्र पांडेय ने बताया कि सावन के महीने में हवाएं ठहर जाती हैं और उमस बढ़ जाती है। ऐसे समय में विषपान के बाद जब शिव जी घुटन महसूस करने लगे तब देवताओं ने भगवान शिव को पीपल के वृक्ष के नीचे लेटा दिया क्योंकि पीपल के पत्ते हल्की हवा में भी हिलते रहते हैं और छाया प्रदान करते हैं। इसलिए सावन में पीपल के वृक्ष की पूजा और पीपल के वृक्ष लगाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस बार सावन का आरंभ और अंत शनिवार का दिन है इसलिए प्रथम दिन का दर्शन शुभ फलदायी था और इस बार सावन माह की सुहानी छाव 29 अगस्त तक बनी रहेगी।


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