भविष्य को खतरा कोरीजन से : सीआइआइ
जासं, चंडीगढ़ : जंग औसतन हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत हिस्सा खा जाता है। अर्थव्यवस्
जासं, चंडीगढ़ : जंग औसतन हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत हिस्सा खा जाता है। अर्थव्यवस्था के कोष पर नकारात्मक प्रभाव देखने का यह एक तरीका है जोकि विकास और स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। हमें जंग से होने वाले नुकसान को कम करना होगा। यह विचार जंग प्रबंधन विषय पर शुक्रवार को हुए सेमिनार में विशेषज्ञों ने रखे।
सीआइआइ के अवंथा सेंटर की ओर से अहमदाबाद के उद्यमियों के लिए आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि एक अन्य पहलू यह है कि जंग सामग्री, उपकरण और रखरखाव की केवल प्रत्यक्ष लागत को प्रतिबिंबित करता है। एनवायरनमेंट की डीग्रेडेशन, संसाधनों की बर्बादी, उत्पादन में गिरावट और जंग से कर्मियों को पहुँचने वाली चोट के निहितार्थ छोड़ दिए जाते हैं।
वर्तमान में हमारे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा के रूप में शून्य दोष, शून्य प्रभाव का आह्वान किया जा रहा है। विनिर्माण प्रक्रियाओं में शून्य प्रभाव को हासिल करने के लिए भारतीय उद्योग गतिशील है। तथापि क्या भारतीय उद्योग जंग की समस्या के समाधान के द्वारा शून्य प्रभाव मिशन के दबाव का वादा
कर सकते हैं?
जंग से होने वाले घाटे
को कम करना जरूरी : सीआइआइ - अवंथा सेंटर फॉर कॉम्पेटिटीवनेस फॉर एसएमईज, के हेड आर नारायणन ने कहा कि हमें जंग से होने वाले घाटे को कम करने के लिए त्वरित उपाय खोजने की जरूरत है। जो कि पर्यावरण और बुनियादी सुविधाओं पर होने वाले लॉसेस को कम करने की क्षमता रखने से ही संभव है। सामग्री का सही मिश्रण के साथ निर्माण भी जंग से निपटने का एक तरीका है । इसके कई अन्य समाधान हैं। लेकिन जरूरत है कि हम औद्योगिक सदस्यों को जंग से निपटने के लिए प्रेरित करें। देश में जंग से सम्बंधित मुद्दों पर अधिकाधिक जानकारिया और विशेषज्ञता उपलब्ध है लेकिन इसकी पहुंच कुछ जेबों और उधमियों तक ही सीमित हैं।
इस पृष्ठभूमि में सीआइआइ अवंथा सेंटर
फार कॉम्पेटिटीवनेस फॉर एसएमईज़, चंडीगढ़ ने जंग प्रबंधन समिति के साथ भारतीय उद्योगों के लिए ज्ञान की इस विरासत को साझा करने के लिए जंग प्रबंधन पर भारतीय उद्योग परिसंघ, अहमदाबाद में संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जंग के बारे में जागरूक करना और जंग नियंत्रण के लिए उपलब्ध तकनीक की जानकारी देना है।