दमा दिल को भी करता है बेदम : प्रो. कौल
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : देश में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवरों में चिंत
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
देश में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवरों में चिंता की लहर दौड़ रही है। इसकी वजह तेजी से बढ़ता हवा प्रदूषण और लोगों में बढ़ती धूम्रपान की आदत है। दमा अपने आप में चिंता का विषय है, उससे भी ज्यादा चिंता का विषय है दमा और हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का इससे संबंध।
आम तौर पर लोग यह मान सकते हैं कि दमा और हार्ट अटैक में कोई भी समानता नहीं है। एक सास प्रणाली को प्रभावित करता है तो दूसरा दिल के नाड़ीतंत्र को, लेकिन तथ्य यह है कि दोनों में आपसी संबंध है। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जो मरीज दमा पीड़ित हैं, बिना दमा वालों के मुकाबले, उन्हें हार्ट अटैक होने की 70 प्रतिशत संभावना ज्यादा होती है।
इस बारे में जानकारी देते हुए पदमश्री और डॉ बीसी रॉय अवार्ड से सम्मानित पीजीआई के फैकेल्टी मेंबर प्रो. उपेंदर कौल कहते हैं कि एक जैसे लक्षणों की वजह से बहुत से ऐसे मामले मेरे पास आते हैं, जिनमें कंजस्टिव हार्ट फेल्योर को दमा का अटैक समझ लिया जाता है। दोनों के इलाज की अलग-अलग पद्धति होने और जाच में देरी होने से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं और जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसका एक आम उदाहरण है दमा के इलाज के लिए प्रयोग होने वाले इनहेलर। अगर हार्ट फेलयोर होने पर इनहेलर दे दिया जाए तो गंभीर ऐरहयेथमियस होने से जल्दी मौत हो सकती है। दमा और कंजस्टिव हार्ट फेल्योर, आम तौर पर जिसे कार्डियक अस्थमा कहा जाता है, के लक्षण एक जैसे हैं, जिनमें सास टूटना, और खासी मुख्य हैं। यह जागरूकता फैलाना जरूरी है कि अपने-आप दवा देने से पहले और खुद ही अपनी बीमारी का पता लगाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। सही समय पर डॉक्टरी सलाह लेने से जानलेवा हालात को रोका जा सकता है।
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दमा को रखें नियंत्रण में : विशेषज्ञ
कुछ संवदेनशील खून जाच की पद्धतिया हैं जो कॉर्डियक ओरीजन और पल्मनरी ओरीजन का फर्क पता चलता है। इनमें से एक टेस्ट है। एनटी पीआरओबीएनपी एस्टीमेशन उपलब्ध है, जिसे स्क्रीनिंग प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट कहा जाता है। ऐसे टेस्ट से कई बार अस्पताल में गैर-जरूरी भर्ती होने की परेशानी से बच सकते हैं। यह जरूरी है कि दमा को नियंत्रित रखा जाए ताकि हालत बिगड़ कर दिल की समस्या बनने तक ना पहुंच सके। दमा को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा कर हम दमा के इलाज को लाभदायक बना सकते हैं और दमा के अटैक को रोक सकते हैं।