रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी के आदेश वापस
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ की को-ऑपरेटिव सोसायटी के कार्यकाल को 5 वर्ष बढ़ाए जाने के डी
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
चंडीगढ़ की को-ऑपरेटिव सोसायटी के कार्यकाल को 5 वर्ष बढ़ाए जाने के डीसी कम रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी के आदेशों को प्रशासन ने वापस ले लिया है। यह जानकारी प्रशासन ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट को दी है। जिन सोसायटियों के कार्यकाल को बढ़ा कर पाच वर्ष किया गया था। वह भी अब मान्य नहीं होगा।
जस्टिस एसके मित्तल एवं जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू पर आधारित खंडपीठ ने प्रशासन के इस जवाब के बाद मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल तय की है। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा 12 जनवरी 2012 को संविधान में 97वां संशोधन कर दिया है। इसके तहत कोऑपरेटिव सोसायटीज के कार्यकाल उनकी कार्यकारिणी, सदस्यों, प्रबंधन, उसके विवादों के निपटारे के लिए नए प्रावधान बनाए गए हैं। ताकि कामकाज सुचारू व पूरी पारदर्शिता से चलाया जा सके।
इस संशोधन के प्रावधानों को लागू करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय के कृषि एवं को-ऑपरेशन विभाग की ओर से वर्ष 21 जनवरी 2013 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेज कर इस 97वें संशोधन के प्रावधानों को लागू करने को कहा गया था। देश के लगभग सभी राज्यों ने इस संशोधन के प्रावधानों को लागू कर दिया है। यहां तक कि पंजाब और हरियाणा भी संशोधन के प्रावधानों को लागू कर चुके हैं। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन ने जो कि केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ- साथ इन दोनों राज्यों की राजधानी भी है ने अभी तक इस संशोधन के प्रावधानों को लागू नहीं कर पाया है। संशोधन के इन प्रावधानों को लागू करने के लिए याचिकाकर्ता आरडी आनंद ने सितंबर 2013 को प्रशासन को एक रिप्रजेंटेशन दे कर इसे लागू करने कि माग की थी।
परन्तु प्रशासन ने इस रिप्रजेंटेशन पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसके बाद आनंद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर यह माग की थी। 28 नवंबर 2013 को हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रशासन को एक महीने के भीतर संशोधन के इन प्रावधानों को लागू करने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बावजूद प्रशासन ने इन प्रावधानों को अभी तक लागू नहीं किया। इसी दौरान प्रशासन ने आदेश पारित करते हुए सभी को-ऑपरेटिव सोसाइटी की कार्यकारिणी के कार्यकाल को पाच वर्ष तक एक्सटेंशन देने के निर्देश जारी कर दिए थे। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया था कि यह निर्देश केंद्र सरकार के 97वें संशोधन के खिलाफ है लिहाजा इन्हे वापिस लिया जाना चाहिए।