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चंडीगढ़ में भाजपा-कांग्रेस की इज्जत दांव पर

केवल भारती, चंडीगढ़ चंडीगढ़ नगर निगम महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के 5 जनवरी को

By Edited By: Published: Sun, 21 Dec 2014 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 21 Dec 2014 01:02 AM (IST)
चंडीगढ़ में भाजपा-कांग्रेस की इज्जत दांव पर

केवल भारती, चंडीगढ़

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चंडीगढ़ नगर निगम महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के 5 जनवरी को होने जा रहे चुनाव को लेकर भाजपा और काग्रेस की इज्जत दांव पर लगी है। निगम महापौर चुनाव में काग्रेस से सत्ता छीनने की घोषणा कर चुकी भाजपा और फिर से चुनाव जीतने का दावा कर चुकी कांग्रेस की इज्जत दाव पर लगी है। विशेष कर टंडन गुट के लिए महापौर चुनाव जीतना बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि फरवरी में चंडीगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने वाला है।

टंडन फिर से अध्यक्ष पद की पारी खेलना चाहते हैं। जबकि उनके विरोधी जैन और धवन गुट टंडन के स्थान पर अपने किसी आदमी को देखना चाहते हैं। इस लिए महापौर चुनाव पर भी इस गुटबंदी असर दिखाई देने लगा है और टंडन की पीठ लगाने की कोशिशें जारी हैं।

इसके अलावा पोर्टब्लेयर स्टडी टूर को लेकर भाजपा पार्षद आलोचनाओं के शिकार हो रहे हैं, जिसका महापौर चुनाव पर असर पड़ सकता है। महापौर के लिए भाजपा उम्मीदवार तय करने में भी भाजपा को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महापौर चुनाव के लिए भाजपा की दो दावेदार आशा जसवाल और हीरा नेगी ने जहां अपना चुनाव अभियान शुरु कर दिया है, वहीं कांग्रेस की पूनम शर्मा ने भी संपर्क अभियान शुरु कर दिया है। दूसरी दावेदार गुरबख्श रावत अपने ससुर के देहांत के कारण अभी मैदान से बाहर हैं।

मनोनीत पार्षदों से समर्थन की मांग

कांग्रेस और भाजपा के संभावित उम्मीदवार, महापौर चुनाव में मनोनीत पार्षदों से समर्थन माग रहे हैं। जबकि पिछले तीन साल से मनोनीत पार्षद कांग्रेस का साथ देते आ रहे हैं। इस बार भाजपा की चुनावी रणनीति जहां अधिक से अधिक पार्षदों को पार्टी में मिलाकर कांग्रेस को अल्पमत करने की है। वहीं बहुमत न मलने की सूरत में दूसरे विकल्प के तौर पर मनोनीत पार्षदों से समर्थन की कोशिश है। हमेशा से मनोनीत पार्षदों के मताधिकार का विरोध करती आ रही भाजपा को इस बार मनोनीत पार्षदों के मतों की ताकत का पता चल गया है। मनोनीत पार्षदों के मताधिकार को समाप्त करने के लिए भाजपा नेता जेपी नड्ढा और सांसद किरण खेर ब्यान जारी कर चुकी हैं और उनके वोटिंग राईट पर संसद में आवाज उठाने की घोषणा कर चुके हैं। अब समय आ गया है कि मनोनीत पार्षदों के मताधिकार के बारे में भाजपा को अपना स्टैंड स्पष्ट करना पड़ेगा।


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