सेलवेल मामले में सीबीआइ के छापे
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: सीबीआइ ने शनिवार को चंडीगढ़ नगर निगम के सेलवेल टायलेट मामले में संलिप्त अध
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: सीबीआइ ने शनिवार को चंडीगढ़ नगर निगम के सेलवेल टायलेट मामले में संलिप्त अधिकारियों और सेलवेल कंपनी के महाप्रबंधक के ठिकाने पर छापे मारकर कई अहम कागजात अपने कब्जे में लिए है। सीबीआइ ने इस मामले से जुड़े निगम के अधीक्षण अभियंता (एसई) आरसी दीवान, पूर्व एसई एसआर अग्रवाल, पूर्व मुख्य अभियंता एसके बंसल और सेलवेल मीडिया सर्विसेस के महाप्रबंधक विश्वद्वीप दत्ता के ठिकानों पर छापेमारी की।
सीबीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि इन अधिकारियों के ठिकानों पर छापे के लिए सीबीआइ ने वारंट लिया था और शनिवार को 20 सदस्यीय टीम ने सुबह से ही छापेमारी शुरू कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि सीबीआइ ने पहले ही इस मामले में निगम भवन से इस संबंध में सारा रिकार्ड कब्जे में ले लिया था। इस मामले में अनेक कर्मचारियों की गवाही भी हुई। उसके बाद सीबीआइ ने निगम के तीन इंजीनियरों व सेलवेल मीडिया सर्विसेस के एक अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की।
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2007 में जब सेलवेल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को निगम के 4 सार्वजनिक शौचालयों का रख रखाव सौंपा गया था तो निगमायुक्त के पद पर पंजाब के वह प्रशासनिक अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर थे जो आज पंजाब सरकार के सबसे करीबी अधिकारियों में माने जाते हैं। उसके बाद निगम ने जिन शर्तो पर चार शौचालय दिए थे उन्हीं को 84 और दे दिए। निगम सूत्रों के अनुसार चूंकि निगमायुक्त पंजाब से हैं और इस घोटाले में शामिल अधिकाश अधिकारी भी पंजाब से हैं।
क्या है केस : सेलवेल मीडिया लिमिटेड को वर्ष 2007 में निगम ने 86 सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव के लिए 4.5 करोड़ की आरक्षित कीमत पर निविदाएं आमंत्रित कर ठेका दिया था। ठेका मिलने के बाद सेलवेल मीडिया कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए चंडीगढ़ में लागू विज्ञापन नियंत्रण एक्ट के तहत भी उनसे शुल्क नहीं लिया गया। कंपनी निगम से प्रतिमाह लाखों रुपये लेती रही। ज्ञात रहे कि निगम में हुए इस कथित घोटाले में निगम को लगभग 16.66 करोड़ रुपये की हानि हुई है। गत 31 मार्च को कंपनी के साथ किए गए करारनामे की अवधि समाप्त होने के बाद ही कंपनी का ठेका रद किया गया। प्रशासन और निगम के अधिकारी इसे कोई बड़ा मामला नहीं मान रहे हैं।
इनमें निगम के अधीक्षण अभियंता (एसई) आरसी दीवान, पूर्व एसई एसआर अग्रवाल, पूर्व मुख्य अभियंता एसके बंसल, सेलवेल मीडिया सर्विसिस के महाप्रबंधक विश्वदीप दत्ता शामिल हैं।
निगम के कर्मचारियों का कहना है कि अगर प्रकरण में कोई छोटे स्तर का कर्मचारी संलिप्त होता तो वह जेल भी पहुंच गया होता। चूंकि इस घोटाले के तार कुछ प्रभावशाली लोगों से जुडे हैं अत: अधिकारी सब एक दूसरे को बचाने में लगे हैं।
मामले को उजागर करने वाले भाजपा पार्षद सतिन्दर सिंह ने कहा कि निगम अधिकारियों की नीयत साफ होती तो अब तक कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर पूरे भारत में संदेश भी दे दिया होता। उससे कंपनी से अपनी राशि की भरपाई आसान होती क्योकि ब्लैक लिस्ट होने पर कंपनी देशभर में कहीं काम नहीं कर सकती थी। निगम अथवा चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रहा था।