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पांच युवकों ने पंजाब के इस गांव को बना दिया अनोखा, यहां हर घर है 'व्हाइट हाउस'

पंजाब के बठिंडा जिले का सुक्‍खा सिंह वाला कभी अन्‍य गांवों की तरह बदहाल था, लेकिन इसे पांच युवाओं ने अनोखा बना दिया। इस गांव में हर घर अब व्हाइट हाउस है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 08:44 AM (IST)
पांच युवकों ने पंजाब के इस गांव को बना दिया अनोखा, यहां हर घर है 'व्हाइट हाउस'
पांच युवकों ने पंजाब के इस गांव को बना दिया अनोखा, यहां हर घर है 'व्हाइट हाउस'

बठिंडा, [सुभाष चंद्र]। पंजाब के गांव सुक्खा सिंह वाला के पांच युवकों ने अपने दम पर गांव की तस्वीर बदल दी है। न केवल गांव को चमका कर हराभरा बना दिया बल्कि सभी घरों को सफेद रंग से रंग दिया। गांव की रंगत अब देखते ही बनती है। अपने गांव के लिए इन पांच युवकों की यह छोटी सी पहल देश के सभी ग्रामीण युवकों के लिए बड़ा संदेश भी है। संदेश अपने गांव को बेहतर बनाने का और अपने गांव के लोगों को बेहतर जीवनस्तर के लिए प्रेरित करने का।

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बठिंडा के इस गांव में करीब डेढ़ सौ घर हैं। साफ-सुथरी गलियां, चमचमाती सड़कें, लिपे-पुते घर, दीवारों पर सुसंदेश देतीं पेंटिंग्स और जागरूकता बढ़ाने वाले नारे...। गांव में पहुंच कर लगता है मानो किसी वीआइपी इलाके में पहुंच गए हैं जहां कोई उत्सव चल रहा है। राज्य के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में शामिल मौड़ मंडी के इस गांव को देखने के लिए दूरदराज से लोग पहुंच रहे हैं।

शाम के समय गांव की चौपाल में मेले जैसा नजारा होता है। दीपावली के दिन तो पूरे गांव के घरों पर दीपमाला कर ऐसा नजारा पेश किया कि अन्य गांवों के लोगों के अलावा विभिन्न अधिकारी भी उसे देखने के लिए पहुंचे। वे युवाओं के इस योगदान को सलाम किए बगैर नहीं रह सके।

ऐसे हुई शुरुआत

मानसा रोड स्थित गांव सुक्खा सिंह वाला निवासी पाल सिंह सिद्धू ने पिता की याद में गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में शानदार पार्क विकसित कराया है। उन्होंने स्कूल को भी गोद ले लिया। 2016 में मां का निधन हुआ तो उन्होंने मां की स्मृति में पूरे गांव में पौधरोपण किया। गांव में करीब 15 हजार फाइक्स के पौधे लगाए हैं। पाल सिंह के इन कामों से प्रभावित होकर गांव के युवा गुरसेवक सिंह, हरदीप सिंह, जगतार सिंह कुक्कू और अमृतपाल सिंह ने भी गांव के लिए कुछ बेहतर करने की ठानी।

गांव सुक्‍खा सिंह वाला को अनोखा बनाने वाले ग्रामीण।

बस फिर क्या था, कारवां बन गया। युवकों ने गांव को आदर्श बनाने का बीड़ा उठा लिया। महज तीन वर्षों में ही उन्होंने गांव की तस्वीर बदल दी है। स्वच्छ ग्रामीण भारत की परिकल्पना इस गांव में साकार होती दिखती है। सभी गलियों में दीवारों पर की गईं खूबसूरत चित्रकारी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त संदेश देती हैं। गांव पहुंचने वाला हर व्यक्ति इन्हें देखे-समझे बगैर आगे नहीं बढ़ता है।

रात में गांव को महका रही रातरानी

गांव में वर्ष 2015 में सड़कें बनी थीं। युवकों ने इन्हें साफ-सुथरा कर उन पर सफेद-पीली पट्टियां पोत आर्कषक बना दिया। तब से प्रत्येक सप्ताह सड़कों की सफाई की जाती है। झाड़ू लगाने के बाद धुलाई होती है। सड़कों के किनारे करीब 20 हजार से अधिक फाइक्स और रातरानी जैसे आर्कषक और सुगंध वाले पौधे लगे हुए हैं।

रात में पूरा गांव रातरानी की भीनी खुशबू से महक उठता है। प्रत्येक घर के द्वार पर नेम प्लेट्स लगी हुई है। इस पर घर के मालिक का मोबाइल नंबर भी लिखा हुआ है। गांव में नशे पर रोक है। गांव में कहीं भी नशे का सामना ढूंढे नहीं मिलेगा। प्रेम भाव की मिसाल बन चुके गांव के कई युवा फौज में हैं।


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