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बीमार व्यवस्था के सहारे जगाई जा रही है बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद

गुरप्रेम लहरी ब¨ठडा बीमार व्यवस्था के सहारे राज्य सरकार की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं देने

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 01:01 AM (IST)
बीमार व्यवस्था के सहारे जगाई जा रही है बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद
बीमार व्यवस्था के सहारे जगाई जा रही है बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद

गुरप्रेम लहरी ब¨ठडा

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बीमार व्यवस्था के सहारे राज्य सरकार की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं देने का तरीका मरीजों का मर्ज बढ़ा रहा है। आलम ये है कि पीएचसी से लेकर जिला अस्पताल तक बड़ी संख्या में मेडिकल आफिसरों का टोटा है। जिले में मेडिकल अफसरों के सेंक्शन पद 110 हैं जबकि इनमें से 61 पद खाली पड़ें हैं। यानि सिर्फ 49 डाक्टर ही तैनात हैं। ऐसे में सेहत सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। जिला अस्पताल में अल्ट्रासांउड तक की सुविधा नहीं है जबकि इस अस्पताल में हर माह चार सौ से पांच सौ तक डिलिवरी होती हैं। अल्ट्रांसड मशीन ऑपरेट करने के लिए रेडियोग्राफर न होने के चलते सभी महिलाओं को बाहर से प्राइवेट तौर पर अल्ट्रासांउड कराने पड़ रहे हैं। जबकि नियमों के मुताबिक उनका अल्ट्रासांउड फ्री में होना चाहिए।

इनमें अस्पतालों में मेडिकल अफसरों के पद रिक्त

अस्पताल- सेंक्शन पद- भरे पद- रिक्त पद

एसएडी प्रताप नगर- 1-0-1

एसएडी डी मौड़ कलां- 1-0-1

एसएडी रामपुरा गांव-1-0-1

अर्बन हेल्थ केयर सेंटर जनता नगर-1-0-1

अर्बन हेल्थ केयर सेंटर धोबियाना-2-0-2

सिविल डिस्पेंशरी फूल- 1-0-1

एआरटी सेंटर ब¨ठडा-1-0-1

जिला अस्पताल-15-6-9

सब डिविजनल अस्पतला-7-4-3

सब डिविजनल अस्पताल तलवंडी साबो-7-6-1

सब डिविजनल तलवंडी साबो एमओ डेंटल-1-0-1

सब डिविजनल अस्पताल घुद्दा-7-3-4

सीएससी नथाना- 2-1-1

सीएससी महराज-3-1-1

सीएचसी भुच्चो-1-0-1

सीएचसी भुच्चो महिला रोग-1-0-1

सीएससी संगत-3-1-2

सीएससी गोनियाना-2-1-1

सीएससी बालियांवाली-3-2-1

सीएचसी मौड़-2-0-2

सीएचसी रामा-4-1-3

पीएचसी जोधपुर पाखर-1-0-1

पीएचसी माइसरखाना-1-0-1

पीएचसी कोटशमीर-1-0-1

पीएचसी मंडी-1-0-1

पीएचसी विर्क कलां-2-1-1

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गोनियाना की हालत नाजुक

गोनियाना मंडी की हालत बेहद नाजुक है। इस अस्पताल में मेडिकल अफसरों की भी कमी है।वहीं एक ही पद औरत रोग विशेषज्ञ का है वह भी रिक्त पड़ा है और लोगों को इलाज के लिए ब¨ठडा आना पड़ता है। भुच्चो हलके में एकमात्र ही पद औरत रोग विशेषज्ञ का है और वह भी रिक्त है।अब उनकी ओपीडी की जगह पर नर्सिंग स्टाफ ने अपना रेस्ट रूम बनाया हुआ है।डाक्टर न होने के चलते पूरे हल्के के लोगों को भारी परेशानियों में गुजरना पड़ रहा है।

एक साल में 7 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

सरकारी अस्पतालों में से इस साल सात डाक्टरों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। जबकि 2 डाक्टर इन सर्विस पीजी कोर्स करने चले गए हैं। ऐसे में इस साल कुल 9 मेडिकल अफसरों ने सरकारी अस्पताल छोड़ दिया।

प्री पीजी के लिए छोड़ी जॉब : डॉ.करन

सरकारी जॉब छोड़ने वाले डॉ.करन पॉल का कहना है कि उन्होंने प्री पीजी के लिए सरकारी जॉब छोड़ी थी और अब वह एम्स जोधपुर में साइकेट्री में एमडी कर रहे हैं। जबकि उनके बारे में चर्चा यह है कि उनकी डयूटी पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के साथ लगा दी थी और उनको उनकी देखभाल के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। ऐसे में उन्होंने जॉब से इस्तीफा दे दिया। लेकिन डॉ.करन का कहना है कि ऐसा कोई कारण नहीं था।

मेडिकल अफ्सर को सिर्फ 17 हजार इनहैंड : डॉ.साहिल

सरकारी जॉब से इस्तीफा देने वाले डॉ.साहिल का कहना है कि एमबीबीएस करने के बाद उनको सिर्फ 17 हजार रुपये इनहैंड मिल रहा था। जबकि इससे ज्यादा तो पैरा मेडिकल स्टाफ वेतन ले रहा है। इस कारण ही मुझे जॉब से इस्तीफा देना पड़ा।

कमियां दूर

हम पुरानी मेडिकल पालिसी को रीलुक कर रहे हैं। इसमें जो कमियां आएंगी उनको पॉलिसी रीवाइव करके दूर किया जाएगा। मेडिकल अफसरों की जल्द ही भर्ती की जाएगी और उनका वेतन बढ़ाने की योजना भी बनाई जाएगी।

ब्रहम म¨हद्रा,सेहत मंत्री पंजाब


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