ईश्वर को मन, बुद्धि नहीं आत्म ज्ञान से जानें : साध्वी हरतोज
संस, ब¨ठडा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव चाऊके में भजन संकीर्तन का आयोजन किया गया, जिस
संस, ब¨ठडा
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गांव चाऊके में भजन संकीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें सत्संग सुनाते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी हरजोत ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि प्रकृति की प्रत्येक वस्तु, प्रत्येक प्राणी तीन गुणों सत, रज, तम से मोहित है। जब तक हमारी बुद्धि इन गुणों के अधीन रहती है तब तक हम अपने लक्ष्य 'ईश्वर' तक नहीं पहुंच सकते। साध्वी ने कहा कि तामसिक बुद्धि वाले वे लोग होते हैं जो हमेशा दूसरों को दुख-कष्ट पहुंचाने का प्रयास करते रहते हैं। जैसे रावण, कंस इत्यादि। जो ऐसी बुद्धि का प्रयोग करते हैं वह ईश्वर के समीप आने की बजाय दूर चले जाते हैं। दूसरी प्रकार की बुद्धि राजसिक बुद्धि है। ये मनुष्य भोग प्रवृति के होते हैं। अपनी बुद्धि का प्रयोग संसार की माया को पाने के लिए करते हैं। तीसरे प्रकार की बुद्धि सात्विक बुद्धि है। ये वो लोग होते हैं जो शुभ कार्य करते हैं। परमात्मा को मानते तो हैं, पर कभी उसे जानने का प्रयास नहीं करते। हमारे संत महापुरुष कहते हैं, अगर हम ईश्वर को पाना चाहते हैं तो इन तीन प्रकार की बुद्धि से ऊपर उठना होगा। साध्वी जी ने बताया कि ईश्वर को मन, बुद्धि से नहीं बल्कि आत्म ज्ञान के माध्यम से जाने। ईश्वर एक ब्रह्मनिष्ठ संत के माध्यम से मिलेगा।