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18 दिन बाद धरने से उठे किसान

जासं, ब¨ठडा सफेद मक्खी से नरमे की खराब हुई फसल के उचित मुआवजे के लिए जिला मुख्यालय पर चल रहा किसान

By Edited By: Published: Mon, 05 Oct 2015 01:04 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2015 01:04 AM (IST)
18 दिन बाद धरने से उठे किसान

जासं, ब¨ठडा

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सफेद मक्खी से नरमे की खराब हुई फसल के उचित मुआवजे के लिए जिला मुख्यालय पर चल रहा किसानों का राज्य स्तरीय धरना 18वें दिन रविवार शाम को खत्म हो गया। अब किसान नई रणनीति के तहत रेल ट्रैक की तरफ कूच करेंगे। इसके तहत सात व आठ अक्टूबर को मालवा में सात जगहों पर रेल यातायात रोक कर किसान संगठन सरकार पर मुआवजे के संदर्भ में दबाव बनाएंगे। रेल रोको कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किसान संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता पांच व छह अक्टूबर को दो दिन तक गांवों में प्रचार-प्रसार करेंगे। उधर, रविवार सायं किसानों ने धरना प्रदर्शन समाप्त करते हुए अपने गांवों की तरफ रुख किया।

इससे पहले धरना देने वाले किसानों को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष झंडा ¨सह जेठूके, ¨शगारा ¨सह मान, भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के प्रदेशाध्यक्ष सुरजीत ¨सह फूल, बूटा ¨सह बुर्जगिल, रूलदू ¨सह मानसा, सुखदेव ¨सह मानसा, जोगेंद्र ¨सह उग्राहां सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। उक्त किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने हठधर्मिता अपनाई हुई है। चंडीगढ़ में किसान संगठनों के साथ हुई वार्ता में सरकारी अधिकारियों के समक्ष सफेद मक्खी से हुए नुकसान की सही तस्वीर पेश करने के बावजूद सरकार नुकसान के बराबर मुआवजा देने को तैयार नहीं है। महज आठ हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। वास्तविक नुकसान को नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार के खिलाफ लंबा संघर्ष करने की जरूरत है।

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प्रति एकड़ 40 हजार मुआवजे की है मांग

किसान यूनियन के नेताओं के अनुसार फसल खराब होने पर किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़, मजदूर परिवार को 20 हजार रुपये मुआवजा, घटिया कीटनाशक खरीदने के आरोपी कृषि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, फसल खराब और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसान व मजदूर के परिवार को पांच लाख रुपये मुआवजा, इसके कारण मृतक किसान के परिवार के एक आश्रित सदस्य को सरकारी नौकरी व बैंक कर्ज माफी की मांग पूरी न होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

किसान नेताओं के अनुसार शनिवार को चंडीगढ़ में हुई वार्ता में अधिकारियों ने उन्हें बताया कि कीटनाशक दवा खरीद के प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर इसमें दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने किसान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि उनकी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाएगी।

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कहां-कहां रोकी जाएंगी ट्रेनें

किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष झंडा ¨सह जेठूके ने बताया है कि सात अक्टूबर से दोपहर 12 बजे से रेलें रोकी जाएंगी। इसके तहत किसान यूनियनों ने रामपुरा फूल, संगत ब्लॉक, मानसा, बरनाला, पटियाला, मोगा जिले के अजीतवाल व लहरागागा-सुनाम रेलवे लाइन पर रेलगाड़ियां रोकने का निर्णय लिया है। आठ अक्टूबर को किसान संगठनों की होने वाली प्रदेश स्तरीय प्रतिनिधियों की बैठक में फिर आंदोलन की आगामी रणनीति बनाई जाएगी। जेठूके के अनुसार अगर सरकार ने उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं की, तो रेल रोको आंदोलन लंबा भी चल सकता है।

उधर, किसानों के रेल रोको आंदोलन को मजदूर संगठनों पंजाब खेत मजदूर यूनियन, क्रांतिकारी देहात मजदूर यूनियन, देहाती मजदूर यूनियन मशाल व मजदूर मुक्ति मोर्चा ने भी समर्थन दिया है।

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'सोमवार को किसान संगठनों के साथ बैठक कर उन्हें समझाया जाएगा कि वे रेल ट्रैक जाम न करें। इससे लोगों को परेशान होगी।'

-डीसी डॉ. बसंत गर्ग।

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17 सितंबर को शुरू हुआ था धरना

किसानों ने सफेद मक्खी से खराब हुई नरमे की फसल के उचित मुआवजे के लिए 10 सितंबर को डीसी कार्यालय के समक्ष एक दिन का सांकेतिक धरना लगाया था। इसमें मुआवजा न मिलने पर 17 सितंबर से पक्का मोर्चा लगाने यानी धरना शुरू करने की चेतावनी दी थी। मांग पर कार्रवाई न होने पर 17 सितंबर से डीसी कार्यालय के पास राजेंद्रा कॉलेज के सामने धरना शुरू किया गया था।


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