ओशो की वसीयत सुन, छलकीं आंखें
फोटो - 4 जागरण संवाददाता, ब¨ठडा मैं एक चित्र में निरंतर रंग भर रहा हूं, लेकिन ये चित्र कभी पूरा
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जागरण संवाददाता, ब¨ठडा
मैं एक चित्र में निरंतर रंग भर रहा हूं, लेकिन ये चित्र कभी पूरा न होगा। चित्र का निरंतर बनना ही विकास है, जबकि चित्र का पूरा हो जाना अंत है। मेरे जाने के बाद आप सब लोग चित्र में रंग भरोगे, और चित्र को पूरा करने की कोशिश करोगे, लेकिन ये चित्र कभी पूरा न होने देना, क्योंकि हमें अंत की ओर से नहीं, बल्कि विकास की ओर बढ़ना है। मैं हमेशा आपके पास रहूंगा। मुझे पाना हो तो आंखें बंद करो और बहते आंसू और मुस्कान में आप मुझे पाओगे। ओशो प्रेम ध्यान मंदिर में चल रहे तीन दिवसीय शिविर में आखिरी दिन स्वामी अशोक भारती ने ओशो की ओर से लिखी वसीयत को पढ़कर सुनाया तो माहौल भावुक हो उठा। इसके अलावा नटराज, अनापान अन्य मेडिटेशन करवाए गए। इस शिविर में विभिन्न जिला से 100 से अधिक लोग हिस्सा ले रहे हैं। स्वामी अशोक भारती ने बताया कि ओशो प्रेम ध्यान मंदिर में रोजाना सुबह 6.30 बजे सक्रिय ध्यान व अन्य मेडिटेशन करवाया जाता है। इसमें कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है।