'सृष्टि की रक्षा को संत का अवतार लेते हैं प्रभु'
संस, ब¨ठडा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से अजीत रोड पर स्थित स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्स
संस, ब¨ठडा
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से अजीत रोड पर स्थित स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्संग आयोजित किया गया। इसमें श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी रीतू भारती जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि जैसे तपते हुए रेगिस्तान को शांत करने के लिए वर्षा की जरूरत होती है। उजड़े हुए बाग के माली की जरूरत होती है। रात को मुरझाए हुए फूल को खिलने के लिए सूर्य की जरूरत होती है। ऐसे ही दुख रूपी अग्नि से जलती हई मानवता को शीतलता प्रदान करने के लिए संत रूपी मेघ की जरूरत होती है।
प्रभु ने जब संसार की रचना की तो अंधकार के साथ साथ प्रकाश की भी रचना की, लेकिन विडंबना है कि मनुष्य ने प्रकाश को छोड़ कर अंधकार का चयन किया। सत्य को छोड़ कर झूठ व दिन को छोड़ कर रात्रि की ओर बढ़ता चला गया। जब-जब मानव ने ऐसा किया, तब-तब संसार में प्रभु ने संत महापुरुषों के रूप में अवतार लिया। जैसे अपनी बनाई सृष्टि की रक्षा हेतु भूली हुई मानवता को सत्य के मार्ग की ओर ले जाने को प्रभु हर युग में संत का अवतार लेकर आते हैं। संत मानव के भीतर प्रकाश को प्रकट कर अज्ञानता के अंधकार को दूर कर देते हैं। जब मानव संतों का संग करता हुआ आत्म ज्ञान के मार्ग पर चलेगा तो तभी उसे मोक्ष का द्वार मिलेगा।