बच्चों की खोई मुस्कान लौटा रही स्माइल ट्रेन
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा स्माइल ट्रेन, जीवन के प्लेटफार्म पर आने वाली एक खुशियों की गाड़ी जो बच्चों
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा
स्माइल ट्रेन, जीवन के प्लेटफार्म पर आने वाली एक खुशियों की गाड़ी जो बच्चों के चेहरे से गायब मुस्कान व कंठ में आवाज भरने का काम कर रही है। स्माइल ट्रेन अभियान अब तक जिले के ऐसे 15 बच्चों की ¨जदगी में मुस्कान ला चुका है, जो जन्म से अविकसित होंठ व कंठ के कारण असामान्य जीवन जी रहे थे। आज वो बच्चे समाज में अपना अहम स्थान हासिल कर चुके हैं। स्माइल ट्रेन के नाम से चल रहे अभियान के तहत इन बच्चों का बिना किसी खर्च के उपचार करवाकर उनके जीवन में नई उम्मीद को पैदा किया जा रहा है। इनमें बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो कंठ के अविकसित होने के कारण ठीक से बोल भी नहीं पा आ रहे थे, लेकिन आज वह दूसरों की तरह बोलते भी हैं और गाते भी।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत इंक्लूसिव एजुकेशन ऑफ डिसेबल चिल्ड्रन प्रोजेक्ट की टीम स्माइल ट्रेन अभियान को साथ में चला कर कटे होंठ व अविकसित कंठ वाले बच्चों का उपचार करवाकर उनके जीवन में एक नया बदलाव ला रहे हैं। अब तक आइईडी टीम जिले के ऐसे 15 बच्चों का इलाज करवा चुकी है।
इनमें से एक है कनवरजीत कौर। गांव हमीरगढ़ की रहने वाली सात वर्षीय करवजीत का कंठ अविकसित होने के कारण वह ठीक से बोल नहीं पा रही थी। ऑपरेशन के बाद अब कनवरजीत बोलती ही नहीं, गाती भी है। लड़की होने के चलते परेशान मां सुखप्रीत की अब कनवरजीत दुलारी है। ऐसा ही गांव गियाना का 12 साल का खुशप्रीत, जो कंठ अविकसित होने के कारण बचपन में ठीक से बोल नहीं पा रहा था। इस बच्चे को भी अभियान के तहत उपचार करवाकर आवाज वापस दिलाई। ऐसा ही कुछ बदलाव आया ज्योति कौर की जिंदगी में। ज्योति भी अब दूसरे बच्चों की तरह सामान्य दिखती है और बोलती भी है। गांव गुरुसर महराज में रहने वाले पिता कुल¨वदर ¨सह बेटी को दूसरे बच्चों की तरह बोलते देख बेहद उत्साहित है। ऐसे ही कई बच्चे समय पर ठीक उपचार न होने के कारण समाज में घृणा की निगाह से देखा जाता है, स्माइल ट्रेन ऐसे बच्चों के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है।
अमेरिका की संस्था है स्माइल ट्रेन
स्माइल ट्रेन अमेरिका की एक समाजसेवी संगठन है, जो सरकार के साथ मिल कर कटे होंठ व अविकसित कंठ वाले बच्चों का निशुल्क उपचार करवाती है। इस समय संस्था शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा अभियान की आइईडी टीम के साथ मिलकर जिले में ऐसे बच्चों को ढूंढ कर उनका निशुल्क उपचार करवा रही है। इंक्लूसिव एजुकेशन फॉर डिसेबल चिलड्रन की जिले में 20 एजुकेटर की टीम 50 वालंटियर्स के साथ जिले में ऐसे बच्चों पर सर्वे कर उनका उपचार करवा रही है। अब तक जिले में 15 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है।
इन बच्चों का मुफ्त उपचार किया जा रहा है
हमारी टीम लोगों के सहयोग से कटे होंठ व अविकसित कंठ वाले बच्चों को ढूंढ रही है। इन बच्चों का अभियान के तहत मुफ्त उपचार करवाया जा रहा है।
देवेंदर कुमार, जिला स्पेशल एजुकेटर।