जुड़वां नहीं, फिर भी हमशक्ल
साहिल पुरी, बठिंडा
आपने सिनेमा के पर्दे पर राम और श्याम, गोपी किशन, सीता और गीता व जुड़वां जैसी फिल्मों में हमशक्ल पात्रों को पेश आने वाली समस्याओं को देखा होगा। जरा सोचें कि आम जिंदगी में हमशक्ल लोगों को किस प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा। बठिंडा की ढिल्लों कॉलोनी के रहने वाले हमशक्ल भाइयों अमनदीप व नवदीप शर्मा की जिंदगी से जुड़े हैं कई रोमांचक किस्से। बेशक दोनों भाई जन्म से जुड़वां नहीं हैं, लेकिन एक-दूसरे से मिलती शक्ल लोगों को अक्सर ही उलझा देती है। दोनों भाइयों के जन्म में चार साल का अंतर है।
वैसे तो इन दोनों हमशक्ल भाइयों के कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन परीक्षा से निकाले जाने का किस्सा आज भी दोनों भाइयों के लिए कभी न भुलने वाली याद है।
अमनदीप शर्मा बताते हैं कि सरकारी राजिंदरा कॉलेज में बीए फाइनल की परीक्षा चल रही थी, तो इसी कालेज में बने सेंटर में भाई नवदीप कुछ दिन पहले बीएससी की परीक्षा दे चुके थे। एक पेपर के दौरान परीक्षा केंद्र के कंट्रोलर ने भाई की गलतफहमी में मुझे परीक्षा से बाहर निकाल लिया और मुझ पर नाम बदल कर दो परीक्षाएं देकर 420 करने का आरोप लगाया। किसी तरह यकीन दिलाने के बाद कंट्रोलर ने दोबारा से परीक्षा में बैठने दिया।
एक अन्य किस्से के बारे में अमनदीप शर्मा बताते है कि बड़े भाई नवदीप शर्मा की शादी के समय सभी दोस्त नाराज हो गए। क्योंकि मैं शादी का सामान लेने के लिए पैलेस से बाहर गया हुआ था, जबकि दोस्त सेहरे बांध कर बैठे भाई को मुझे समझ बैठे, कई दोस्तों ने तो भाई के पास जाकर बडे़ भाई के नाम पर कार्ड बांट कर खुद शादी करने का आरोप लगाते हुए भड़ास निकाल दी। जब मैं पहुंचा तो दोस्त हैरान रह गए। क्योंकि वे मेरे बड़े से झगड़ रहे थे। जिसे देख कर हम सभी जोर जोर से हंस पडे़। कुछ ऐसे ही परेशानी अमनदीप शर्मा की शादी में बडे़ भाई नवदीप शर्मा को झेलनी पड़ी। अपना परिचय देने के बाद लोगों की बधाइयों से बच सके। वे हंसते हुए बताते हैं कि मेरी बीबी बगल में थी और बहुत से लोग मुझे शादी के लिए मुबारकबाद दे रहे थे।
अमनदीप शर्मा पेशेवर वकील हैं, जबकि उनके बड़े भाई नवदीप शर्मा इन दिनों विदेश में बसने के लिए गए हैं। वे दोनों कहते हैं कि हमशक्ल होने से लोगों को उलझन में पड़ते देख हंसी तो आती है, लेकिन कई बार हमशक्ल होना बहुत बड़ी सिरदर्दी भी बन जाती है।