पंजाब में कोयला संकट गहराया
संतोष कुमार शर्मा, बठिंडा : दो दिनों से तापमान में वृद्धि होने और कोयले की सीमित सप्लाई होने के चलते पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयला संकट गहरा गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के कोयला ब्लाक आवंटन को अवैध घोषित कर दिए जाने के बाद तो स्थिति और गंभीर बन गई है।
इस आपात स्थिति से निबटने के लिए पावरकॉम (पंजाब स्टेट पावर कारपारेशन लिमिटेड) प्रबंधन ने तीनों थर्मल प्लांट से एक-एक एक्सइएन को झारखंड भेजा है ताकि कोयला आपूर्ति सुचारू की जा सके। इसके बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है।
कोयला संकट से पार पाने के लिए मोहाली में पावरकॉम सचिव के साथ 27 अगस्त को एकच्उच्चस्तरीय बैठक होनी है। इसमें पावरकॉम के चेयरमैन सह मैनेजिंग डायरेक्टर केडी चौधरी के अलावा तीनों थर्मल प्लांटों के प्रमुख हिस्सा लेंगे।
जानकारी के अनुसार, सरकार व पावरकॉम प्रबंधन की लाख कोशिशों के बावजूद गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा, गुरु हर गोबिंद थर्मल प्लांट लहरा मोहब्बत और गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट रोपड़ में करीब तीन माह से कोयला संकट दूर नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से बीच-बीच में एक-एक यूनिट बंद कर कोयला स्टाक किया जाता है। आज तीनों थर्मल प्लांट इस मामले में गंभीर श्रेणी में पहुंच गए हैं।
नियमानुसार थर्मल प्लांट में कोयले का 15 दिन से कम स्टाक रहने पर प्लांट अलार्मिग कैटेगरी, जबकि 10 दिन से कम के स्टाक पर 'क्रिटिकल केटेगरी' में आ जाता है। इसके मद्देनजर एक्सइएन की टीम को झारखंड रवाना किया गया, ताकि खदान स्थल से कोयले की सप्लाई बढ़ाने में पैनम कंपनी की मदद की जा सके। इसके बावजूद पैनम रोजाना 10 रैक (एक रैक में साढ़े तीन हजार मीट्रिक टन कोयला) कोयला ही सप्लाई कर रही है, जबकि तीनों थर्मल प्लांटों में प्रतिदिन 8 से 9 रैक की खपत है। सप्लाई नहीं बढ़ने वजह से बठिंडा में छह दिन, लहरा मोहब्बत व रोपड़ प्लांट में तीन-तीन दिन का कोयला बचा है।
स्थिति गंभीर बन गई है। इसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। हालांकि, उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि रेलवे के कोयला सप्लाई के लिए रैक मुहैया नहीं कराने से स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहीं, पावरकॉम के जनसंपर्क अधिकारी इंजीनियर गोपाल शर्मा खुलासा करते हैं कि कोयले का रैक रोजाना पहुंच रहा है। सभी यूनिटों में उत्पादन हो रहा है।
इसके विपरीत लहरा थर्मल प्लांट के मुख्य इंजीनियर एसके पुरी स्वीकार करते हैं कि प्लांट में महज तीन दिन का ही स्टाक है। सूत्र बताते हैं कि पैनम व पावरकॉम ही मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं। रेलवे रैक की कमी तो एक बहाना है। कोयले की सप्लाई सही नहीं होने की वजह से थर्मल प्लांट में तैनात इंजीनियरों के सवालिया निशान लगा देने से कंपनी सप्लाई दुरुस्त नहीं कर रही है, क्योंकि तीनों थर्मल प्लांटों की डिजाइन 'सी' व 'डी' ग्रेड पर आधारित है, लेकिन 'ई' व 'एफ' क्वालिटी का कोयला सप्लाई किया जा रहा था। इस पर आपत्ति जताई गई थी, जिसके बाद से ही पूरा मामला बिगड़ गया।
इस बीच, मंगलवार को पावरकॉम कीच्एच्च्उच्चस्तरीय टीम ने तलवंडी साबो थर्मल प्लांट का दौरा किया, जहां तीनों यूनिट कोयले की कमी की वजह से चालू नहीं हो पा रहे हैं। टीम ने कोयला संकट के अलावा बिजली उत्पादन में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए विचार-विमर्श किया गया। इस थर्मल के सूत्रों के अनुसार अभी प्लांट में 15 हजार मीट्रिक टन कोयला है, जबकि प्रबंधन 30 हजार मीट्रिक टन स्टाक होने के बाद ही प्लांट शुरू करने की बात कर रहा है।