आइएसआइ ने सेना के कर्मी को ऐसे फंसाया जाल में, फिर पुलवामा हमले के बाद किया इस्तेमाल
पाकके लिए जासूसी के आरोप में पकड़ा गया सेना का इलेक्ट्रीशियन हनीट्रैप में फंस गया था। एक युवती के माध्यम से आइएसआइ ने उसे फंसाया व पुलवामा हमले के बाद उससे खुुफिया जानकारी ली।
अमृतसर, जेएनएन। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसअाइ के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़े गए मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज एमईएस) के एक इलेक्ट्रीशियन रामकुमार को लेकर बेहद सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। आइएसआइ ने उसे हनीट्रैप के जरिये अपने जाल में फंसाया था। एक पाकिस्तानी हसीना ने उससे सोशल मीडिया के माध्यम से प्यार के जाल में फंसाया अौर शादी का झांसा देकर जासूसी करवाने लगी। वह छह माह से आइएसआइ के संपर्क में था। बताया जाता है कि आइएसआइ ने उसका पुलवामा हमले के बाद जानकारी लेने में ज्यादा इस्तेमाल किया।
फेसबुक के जरिए पाकिस्तानी हसीना ने फंसाया जाल में, छह माह से दे रहा था भारतीय सेना की सूचनाएं
आइएसआइ एजेंट राम कुमार पिछले छह माह से फेसबुक के जरिए भारतीय सेना के बारे में खुफिया जानकारियां आइएसआइ को दे रहा था। वह इतना शातिर था कि सूचनाएं देने के बाद उन्हें फेसबुक से डिलीट कर देता था। स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल के अधिकारियों को इसके बैंक खाते खंगालने के बाद 19 हजार रुपये मिले हैं। बताया जाता है कि अमन नाम की महिला एजेंट की फेसबुक से फ्रेंडशिप में आने के बाद यह आइएसआइ का एजेंट बना था।
बता दें कि रामकुमार को भारतीय खुफिया एजेंसी ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। खुफिया एजेंसियों को पता चला कि वह पुलवामा में आतंकी हमले के बाद आइएसआइ को सेना की खुफिया जानकारी और गतिविधियों के बारे में जानकारी दे रहा था। रामकुमार गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। मामले के उजागर होने पर रामकुमार के पिता ने कहा कि बेटे की करतूत से परिवार शर्मसार है। राम कुमार जालंधर कैंट स्थित मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमइएस) में 2013 से बतौर इलेक्ट्रीशियन काम कर रहा है। इसके चलते उसे सेना की कई गुप्त जानकारियां और सेना के कई बड़े अधिकारियों के नंबर भी पता है।
जानकारी के मुताबिक जालंधर कैंट में रहने वाला राम कुमार पिछले एक साल से फेसबुक पर पाकिस्तान की अमन नाम की महिला के संपर्क में था। दोस्ती से जब बात आगे बढ़ी तो अमन ने उसे बताया कि वह भी भारतीय सेना में रही है और आजकल पाकिस्तान में है। इस महिला ने फेसबुक पर चैटिंग करते हुए राम कुमार से भारतीय सेना की राजपूत और सिख रेजिमेंट की लोकेशन पूछी। इस दौरान महिला यह भी बताया कि उसके समय के दौरान वह उक्त दोनों रेजिमेंट कहां-कहां तैनात थी।
जानकारी के अनुसार रामकुमार से पूछताछ में यह भी सामने आया कि अमन ने उसे शादी का झांसा दिया था। इसके बाद ही उसने सेना की जानकारियां देनी शुरू कीं। इस दौरान एक बार पाकिस्तान से आइएसआइ एजेंट अमन ने उसे सात हजार रुपये भेजे। ये पैसे उसने जोधपुर (राजस्थान) में रहने वाली अपनी सहेली सुमन को देने को कहा था। इस दौरान रामकुमार के बैंक खाते में अलग-अलग समय में 60 हजार रुपये भेजे गए।
यह मामला सीधे तौर पर देश की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण एसएसओसी के अधिकारी एजेंट से पूछताछ के दौरान बहुत चौकसी बरत रहे हैं। बताया जा रहा है कि देश की अन्य खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी राम कुमार से पूछताछ के लिए अमृतसर पहुंच चुके हैं।
--------
जालंधर में ही एसएसओपी ने राम कुमार पर लगा दिया था ट्रैप
जालंधर। रामकुमार पर संदेह जालंधर में ही स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल (एसएसओपी) ने ट्रैप लगा दिया था। जालंधर में इसकी गतिविधियों पर पहले से नजर रखी जा रही थी। सुबूत जुटाने के बाद 13 मार्च को रात लगभग 10 बजे जालंधर कैंट से इसे हिरासत में ले लिया गया। सूत्रों की मानें तो अमृतसर इंटेलिजेंस की टीम ने रामामंडी के नजदीक पहुंचकर मिलिट्री इंजीनियरिंरग सर्विसेज (एमईएस) के अफसरों से संपर्क किया था। यहां उन्हें बताया गया कि उनके यहां काम करने वाला कोई कर्मचारी पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा है। इसके बाद टीम थोड़ी ही देर में कैंट पहुंच गई थी। वहां पर राम कुमार को बुलाया गया और संबंधित अफसर को पर्याप्त सुबूत दिखाने के बाद उसे हिरासत में ले लिया गया।
इसके बाद पुलिस टीम उसे लेकर नलवा रोड जालंधर की न्यू दशहरा कॉलोनी के क्वार्टर नंबर 59/4 में लेकर गई थी। वहां पर पुलिस ने छानबीन भी की, लेकिन उसके हाथ कुछ खास नहीं लगा। बताया जाता है कि उनके साथ एमईएस के अफसर भी गए थे, ताकि आरंभिक पूछताछ के दौरान वे भी इंटेलिजेंस अधिकारियों के साथ रह सकें।
कुछ दिनों से ज्यादा चलाने लगा था मोबाइल
राम कुमार की गिरफ्तारी के बाद साथी कर्मचारियों से पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया कि राम कुमार के पास हर वक्त दो मोबाइल होते थे। पिछले कुछ दिनों से वह मोबाइल में ज्यादा व्यस्त रहता था। पुलवामा आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत की तरफ से की गई एयर स्ट्राइक के बाद से वह काम के वक्त भी मोबाइल पर व्यस्त रहता था। कई बार कर्मचारियों ने उसे इसके लिए टोका भी था कि उसका काम में ध्यान नहीं है। साथी कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें लगता था कि वह कुंवारा है, इस वजह से किसी से चैटिंग कर रहा होगा।
साथ रहते थे दो और कर्मचारी
जिस क्वार्टर में राम कुमार रहता था, उसमें दो और कर्मचारी रहते थे, जो एमईएस में ही काम करते थे। पुलिस की टीम ने उनसे भी पूछताछ की, लेकिन कुछ खास पता नहीं चला। इस मामले में अभी राम कुमार के कुछ और साथियों पर पुलिस को शक है। जांच में जुटी इंटेलिजेंस टीम के मुताबिक यह काम वह अकेले नहीं कर सकता।
जम्मू आर्मी इंटेलिजेंस से आई थी इनपुट
सूत्रों की मानें तो राम कुमार के पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के बारे में आर्मी की जम्मू-कश्मीर इंटेलिजेंस को पता चला था। इसे उन्होंने पंजाब इंटेलिजेंस के साथ सांझा किया था। सूत्रों की मानें तो लोकल आर्मी यूनिट को उसके पकड़े जाने के बाद ही जानकारी मिली थी।
यह भी पढ़ें: सेना का इलेक्ट्रीशियन निकला ISI जासूस, पुलवामा हमले के बाद पाक को भेजी खुफिया जानकारी
परिवार के लोग बोले- रामकुमार ने आइएसआइ के लिए जासूसी कर सिर शर्म से नीचा कर दिया
फाजिल्का। रामकुमार के पैतृक गांव फाजिल्का जिले के चुहड़ीवाला धन्ना में उसके परिजन मामले के खुलासे के बाद शर्मसार हैं। परिवार वालों का कहना है कि उसने हमारा सिर नीचा कर दिया है। जागरण की टीम उसके गांव पहुंची तो लोगों ने कहा कि रामकुमार की करतूत से हम सब को धक्का लगा है। उसके पिता ताराचंद तो बेहद आहत हैं। रामकुमार के अलावा परिवार के सभी सदस्य खेतीबाड़ी और मजदूरी का काम करते हैं।
रामकुमार के पिता ताराचंद।
राम कुमार के पिता ताराचंद ने कहा कि एेसे बेटे से अच्छा तो बेटा न हो। मायूसी में डूबे तारा चंद ने कहा कि वह हैरान हैं कि उनका बेटा एेसा कर सकता है। तारा चंद ने बताया कि रामकुमार उनका छोटा बेटा है और उसकी उम्र 28 वर्ष है। रामकुमार ने इस देशविरोध गतिविधि से उनकी नाक कटा कर रख दी है। तारा चंद कहते हैं, गरीबी के कारण खुद पढ़ नहीं सके थे, लेकिन रामकुमार को पढ़ाया लिखाया और रोजगार के लायक बनाया।
उन्होेंने बताया कि राम कुमार ने गांव चुहड़ीवाला धन्ना में ही सरकारी हाई स्कूल से दसवीं पास की। दसवीं के बाद प्राइवेट करके बारहवीं करने की बात होती थी, उसके बाद उन्हें नहीं पता कि उसने आगे पढ़ाई की या नहीं। फिर फार्म भरने के बाद उसे एमईएस (मिलिट्री इंजीनियर सर्विस) में नौकरी मिल गई। पिछले पांच-छह वर्ष से वह जालंधर एमईएस में नौकरी कर रहा था और अभी अविवाहित है। कई बार डेढ़ माह से दो माह में एक बार घर जरूर आता है और तीन से चार दिन तक रहता था। इस दौरान उसकी कोई भी एेसी हरकत उन्हें पता नहीं चली, जिससे उन्हें कुछ शक होता।
दो-तीन हजार रुपये से ज्यादा पैसे नहीं दिए
राम कुमार के परिवार में पिता के अलावा मां लीला देवी, बड़ा भाई राजू, उसकी भाभी रहती है। बहन की शादी हो चुकी है। तारा चंद ने बताया कि बड़ा बेटा राज कुमार मजदूरी करता है और वह खेतीबाड़ी करके बमुश्किल से परिवार का गुजारा करते है। रामकुमार जब भी घर आता था तब उसने दो से तीन हजार रुपये से ज्यादा कभी नहीं दिए। राम कुमार के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है।