अजब शौक की गजब मोहब्बत
रमेश शुक्ला 'सफर', अमृतसर
योगेश अनेजा। वैसे तो चाय के व्यापारी हैं, लेकिन उनके शौक ने उन्हें लोगों के बीच हरियाली व खूबसूरती का रोल माडल बना दिया है। लारेंस रोड के साथ सटे सुरजन विला की कोठी नंबर 36 बी आसपास के लोगों को बरबस अपनी तरफ खींच लेती है। योगेश अनेजा ने छत को जहां बगीचा बना दिया है, वहीं उनके टैरिस गार्डन में तमाम ऐसे दुर्लभ फूल हैं, जोकि आम तौर पर देखने को नहीं मिलते। जहां छत पर नारंगी, किन्नू के पेड़ों में फल लगे हैं, वहीं विभिन्न रंगों के फूल बरबस अपनी तरफ खींचते हैं। जो देखता है बस देखता रह जाता है। रात को लाइटिंग में यह टैरिस गार्डन ऐसा लगता है जैसे कि राष्ट्रपति के 'रोज गार्डन' को देख रहे हों।
यही वजह है कि योगेश अनेजा के टैरिस गार्डन को देखने के बाद पंजाब के उद्योग मंत्री अनिल जोशी ने कंपनी बाग के रोज गार्डन में खूबसूरती की जिम्मेवारी योगेश अनेजा को सौंप दी है। पिछले कुछ दिनों से योगेश अनेजा कंपनी बाग के रोज गार्डन को संवारने में जुटे हैं, यह सेवाएं योगेश अनेजा फ्री दे रहे हैं।
योगेश अनेजा का अपने बड़े भाई समरजीत अनेजा के साथ मिलकर चाय का व्यापार है। वह बताते हैं कि करीब 25 साल पहले उन्होंने पानीपत में मां शंकुतला देवी के पास से दीक्षा ली थी। वहां पर स्थित बगीचे से वह इतने प्रभावित हुए कि तब से उन्हें पर्यावरण बचाने के साथ-साथ फूलों से लगाव हो गया। योगेश ने अपनी कोठी के छत पर जहां टैरिस गार्डन बनाया, वहीं उन्होंने कोठी के साथ लगती आसपास की कोठियों की दीवारें भी सजाई हैं। भगवान शिव शंकर का उन्होंने मंदिर एक कोने में ऊंचे स्थान पर बनाया। वहीं साथ की दीवार के ऊपर बजरंग बली की मूर्ति की स्थापना की। योगेश बताते हैं कि रोजाना सुबह इस बगीचे में दो से ढाई सौ पक्षी (कबूतर, चिड़िया आदि) आते हैं, जिन्हें वह दाना डालते हैं। इन पक्षियों के लिए उन्होंने ऊंची दीवारों पर लकड़ी के ओपन आलने बनाए हैं। जिससे पक्षी धूप या बरसात में वहां बैठ सकें। बाग में नारंगी, किन्नू, गुलदोदी, 24 किस्म के गुलाब, गेंदा, डेलिया समेत अनगिनत फूल लगे हैं। म्यूजिक के साथ चलने वाला फव्वारा भी है, जहां कल-कल ध्वनि से पानी गिरने की आवाज म्यूजिक के साथ आती है।
योगेश अनेजा कहते हैं कि मुझे इस बगीचा में घंटों बैठना अच्छा लगता है। बहुत शांति मिलती है। मैं लोगों से यही कहना चाहता हूं कि पर्यावरण बचाएं और हरियाली से नाता जोड़े, अगर जमीन नहीं है तो छत को भी फूल-फल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सुबह चार बजे उठकर वह पहले बगीचे की देखभाल करते हैं, उसके बाद वहीं पर म्यूजिक में रामधुन के साथ योगा करते हैं। शादी 1985 में आगरा की रहने वाली निशा अनेजा से हुई, जोकि बड़े बेटे वैभव अनेजा व अपनी जेठानी के साथ मिलकर कोठी में ही ड्रेस डिजाइनिंग का शोरूम चलाती हैं। बेटी आरती अनेजा लंदन में फैशन डिजाइनर है। जबकि बेटा वैभव बीकॉम कर रहा है।
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