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आखिरी शाम में मोहब्बत का पैगाम

By Edited By: Published: Sun, 21 Oct 2012 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2012 11:27 PM (IST)
आखिरी शाम में मोहब्बत का पैगाम

धीरज कुमार झा, अमृतसर

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एशियाई देशों में अमन-अमान के पैगाम के साथ सूफियाना शाम ने अलविदा कह दिया। सूफी फेस्टिवल की आखिरी शाम हर किसी ने मोहब्बत का पैगाम दिया। 12 मुल्कों के आए 150 कलाकारों और फनकारों ने हाजरीनों को 2013 में फिर पावन गुरु नगरी की धरती पर मिलने का वादा कर खुदा हाफिज कहा।

पंजाब हेरिटेज एंड टूरिज्म प्रमोशन बोर्ड की ओर से केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय व फाउंडेशन आफ सार्क राइटर्स एंड लिट्रेचर के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल सूफी फेस्टिवल की आखिरी शाम कलाकारों और फनकारों के नाम रही। उज्बेकिस्तान के सोलो डांस ने श्रोताओं का मन मोह लिया, जबकि खालसा कालेज के विद्यार्थियों ने विरासती वाद्य यंत्र की धुन छेड़कर हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विरासती वाद्य यंत्र ढोल, बांसुरी, चिमटा, वीणा, डमरू, मटका, नगाड़ा की धुन ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उज्बेकिस्तान की डांसर डिलाफ्रूज कोडीरोवा ने मनमोहन नृत्य के दौरान अपने हाव-भाव से सबको मदमस्त कर दिया।

आखिरी शाम भारत के जोधपुरी जी एंड ग्रुप ने कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय कर दिया। अव्वल अल्ला नूर उपाय कुदरत के सब बंदे, एक नूर से सब जग उपजया कौन भले कौन मंदे के अलावा कबीर वाणी ने श्रोताओं को भक्तिरस में डुबो दिया। मदल गोपाल सिंह ने भी शास्त्रीय सुर और लय से माहौल को संगीतमय बनाया। पाकिस्तान के शाह हुसैन मजार के दरवेशों ने आज फिर श्रोताओं को सूफियाना बनाया। पाकिस्तान के वाहिद बख्श और बांग्लादेश के मुस्तफा जमान अब्बासी ने भी वोकल संगीत पेश किया। सूफी फेस्टिवल की आखिरी शाम में राजनेताओं के बजाय गुरु नगरी के आम श्रोता नजर आए। समागम के दौरान शिक्षाविदों, सैनिकों और साहित्यकारों की अच्छी-खासी तादाद रही। श्रोताओं ने अगले साल फिर दोस्ती के पैगाम के लिए इसी तरह की शाम की मांग की। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने फेस्टिवल के शुभारंभ के दौरान हर साल गुरु नगरी में सूफी फेस्टिवल आयोजित करने का ऐलान किया था।

अपर्णा कौर की पेंटिंग रिलीज

जानी-मानी चित्रकार अपर्णा कौर की ओर से सूफी फेस्टिवल का लोगो तैयार किया गया था। इसकी पेंटिंग आज रिलीज की गई। पर्यटन विभाग की मुख्य सचिव गीतिका कल्हा ने पेंटिंग को प्रदर्शित किया। अपर्णा ने कहा कि उनकी दिली ख्वाइश थी कि गुरु नगरी में पेंटिंग्स प्रदर्शित हो और बाबा बुल्ला ने उन्हें यह मौका बख्श दिया।

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