आरती के बाद तुलसी का 'प्रसाद'
धीरज कुमार झा, अमृतसर
पर्यावरण से है प्यार तो सहर्ष स्वीकार कीजिए तुलसी का उपहार। पर्यांवरण से प्यार करने वालों को तुलसी का उपहार देने का यह सिलसिला पिछले बीस साल से बदस्तूर जारी है। हर साल एक हजार घरों की शोभा बन रही है तुलसी। अब तलक बीस हजार आंगन को तुलसी पावन कर चुकी है। तुलसी के उपहार देने का तरीका भी नायाब है। तुलसी की धार्मिक मान्यता को ध्यान में रखते हुए धार्मिक स्थलों में आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को ही तुलसी का 'प्रसाद' भेंट किया जाता है।
पर्यावरण से प्यार करने का अनूठा इजहार है भारत विकास परिषद का। भारत विकास परिषद पर्यावरण को स्वच्छ व शुद्ध बनाने के लिए तुलसी का उपहार भेंट कर रही है। भारत विकास परिषद के रमेश्वर शर्मा और बृजमोहन शर्मा कहते हैं कि पर्यावरण से प्यार करने का हर किसी का अपना तरीका है। हिन्दू धर्म में तुलसी की खास अहमियत है। धार्मिक और वैज्ञानिक तौर पर तुलसी संजीवनी है, इसलिए हमने तुलसी का पौधा बांटने का निर्णय लिया। बीस साल से यह मुहिम जारी है। हर साल तकरीबन एक हजार तुलसी के पौधे बांटे जा रहे हैं।
पवित्र तुलसी की मर्यादा का हनन ना हो इसलिए भारत विकास परिषद की ओर से श्री दुग्र्याणा तीर्थ समेत बाकी धार्मिक स्थलों पर आरती के समय में आने वाले श्रद्धालुओं को ही तुलसी का 'प्रसाद' दिया जाता है। रमेश्वर शर्मा कहते हैं कि तुलसी के पौधे हम पांच रुपये में खरीदते हैं और इसे मुफ्त में लोगों को देते हैं। हमारी यही कोशिश है कि तुलसी हर आंगन की शोभा बने। तुलसी लगाने से पर्यावरण स्वच्छ और निर्मल तो होगा ही इसे लगाने पर घरों में खुशियां, समृद्धि, उन्नति और शांति का भी वास होता है।
धर्म-कर्म में भी तुलसी
हिन्दू धर्म में तुलसी की खास महत्ता है। इसके बिना कोई भी धर्म-कर्म संपूर्ण नहीं हो सकता है। तुलसी की बाकायदा पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। तुलसी की पूजा से इष्ट देव भी प्रसन्न होते हैं।
सेहत के लिए संजीवनी
तुलसी सेहत के लिए भी संजीवनी है। वैज्ञानिक मान्यता के मुताबिक तुलसी में आक्सीजन होता है। प्रदूषण को तुलसी खत्म करती है। यह एंटी एलर्जिक है। सर्दी के दिनों में शहद के साथ तुलसी का सेवन लाभदायक होता है।
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