बारिश के पानी में दिखा काला मलेरिया का साया
नितिन धीमान, अमृतसर धरती को शीतलता प्रदान कर रही मॉनसूनी बारिश ने जनजीवन को आनंदित दिया है, पर
नितिन धीमान, अमृतसर
धरती को शीतलता प्रदान कर रही मॉनसूनी बारिश ने जनजीवन को आनंदित दिया है, पर बारिश के पानी में काला मलेरिया का साया दिखने लगा है। गुरु नगरी में काला मलेरिया (प्लास्मोडियम फैल्सिपेरम) रोग से पीड़ित मरीज रिपोर्ट हुआ है। यह मरीज गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल है। दूसरी तरफ इस सीजन में काला मलेरिया का पहला मरीज रिपोर्ट होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के माथे पर ¨चता की लकीरें खिंच गई हैं। काला मलेरिया इतना खतरनाक रोग है कि कुछ ही दिनों में इंसान की ¨जदगी लीलने का क्षमता रखता है। केले के आकार का यह वायरस बड़े ही शक्तिशाली ढंग से इंसान पर वार करता है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार काला मलेरिया से पीड़ित यह मरीज झारखंड से अमृतसर आया था। उसका नाम विपिन है। वह 10 जुलाई को अमृतसर की चमरंग रोड पर आया था। यहां उसे संदिग्ध बुखार की शिकायत हुई। दवा सेवन करने पर भी बुखार नहीं उतरा तो 14 जुलाई को उसे सिविल अस्पताल लाया गया। यहां जांच के दौरान पता चला कि विपिन को काला मलेरिया ने अपनी जकड़ में फंसा लिया है। उसे अस्पताल में दाखिल किया गया और दो दिन बाद गुरुनानक देव अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. मदन मोहन का कहना है कि काला मलेरिया से संबंधित मरीज पंजाब में रिपोर्ट नहीं होते। हां, यदि पंजाब का कोई व्यक्ति दूसरे राज्य में गया हो और उसे मच्छर ने काटा हो तो वह इस रोग की चपेट में आ सकता है। विपिन पंजाब से संबंधित नहीं है। हां, अगर समय रहते वह अस्पताल में न आता तो हो सकता था कि वह कई लोगों को इस बीमारी की गिरफ्त में पहुंचा देता। डॉ. मदन ने स्पष्ट किया कि प्लास्मोडियम फैल्सिपेरम बीमारी के शिकार मरीज को यदि सामान्य मच्छर काटकर खून चूस ले तो मच्छर ही इससे संक्रमित हो जाता है। यही मच्छर किसी स्वस्थ मनुष्य को काट ले तो यह बीमारी तेजी से आगे बढ़ती जाती है। बहरहाल, उन्होंने झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को मरीज के बारे में अवगत करवा दिया है, ताकि वहां की सरकार उसके पारिवारिक सदस्यों की स्लाइडें तैयार कर जांच कर ले। इसके अतिरिक्त चमरंग रोड पर इस मरीज के संपर्क में रहने वाले 22 लोगों की स्लाइडें तैयार की गई हैं। हालांकि सभी की रिपोर्ट नैगेटिव आई है। एहतियात के तौर पर चमरंग रोड पर मच्छर मार दवा का स्प्रे कर दिया गया है।
इधर, मलेरिया की दूसरी श्रेणी प्लास्मोडियम वाइवैक्स के भी दर्जन भर मरीज रिपोर्ट हुए हैं। इस सीजन में मलेरिया के मरीजों की बढ़ रही संख्या का मुख्य कारण दूषित पेयजल माना जा रहा है। गंदे पानी में पनपने वाला मादा एनाफ्लीज मच्छर मलेरिया की उत्पत्ति का कारण बन रहा है, पर नगर निगम प्रशासन द्वारा पानी की निकासी के पुख्ता प्रबंध नहीं किए जा रहे।
क्या है काला मलेरिया
मलेरिया को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनमें प्लास्मोडियम फैल्सिपेरम, प्लास्मोडियम वाइवैक्स, प्लास्मोडियम ओवेल तथा प्लास्मोडियम मलेरिया इत्यादि शामिल हैं। इन सभी में प्लास्मोडियम फैल्सिपेरम बहुत ही खतरनाक माना गया है। केले के आकार का यह वायरस मलेरिया के 80 प्रतिशत मामलों में मौत का कारण बनता है। प्ला?स्मोडियम फैल्सिपेरम पक्षियों, रेंगने वाले जीवों, बंदरों तथा चूहों को भी संक्रमित कर सकता है। मच्छर जनित यह वायरस इंसान में मच्छर की लार के जरिए प्रविष्ट होता है और लिवर को नुकसान पहुंचाता है। इसके अतिरिक्त खून में विद्यमान लाल रक्त कोशिकाओं को डेमेज कर देता है। मलेरिया का मरीज एनीमिया का शिकार हो जाता है।
लक्षण
एनीमिया, ठंड के साथ कंपकंपी, बुखार, शरीर में एंठन, सिर दर्द, मल में खून आना, उल्टी, पसीना निकलना और बेहोशी।