Move to Jagran APP

डा. बराड़ को केस वापस लेने के बदले मिली थी एक्सटेंशन

जागरण संवाददाता, अमृतसर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के वीसी डा. एएस बराड़ के बेटे की बिह

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:10 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 01:10 AM (IST)
डा. बराड़ को केस वापस लेने के बदले मिली थी एक्सटेंशन
डा. बराड़ को केस वापस लेने के बदले मिली थी एक्सटेंशन

जागरण संवाददाता, अमृतसर

loksabha election banner

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के वीसी डा. एएस बराड़ के बेटे की बिहार क्लेरिकल पेपर लीक मामले में हुई गिरफ्तारी के बाद डा. बराड़ पर भी उंगली उठनी शुरू हो गई है। जीएनडीयू की टीचिंग यूनियन ने डा. बराड़ के कार्यकाल दौरान हुई कथित धांधलियों की जांच की मांग की है। वहीं बिहार पुलिस की एसआइटी की ओर से आनंतप्रीत बराड़ से की गई पूछताछ के दौरान सामने आया है कि आनंतप्रीत बराड़ को अलग अलग संस्थाओं को ओएमआर प्रतियां और उत्तर पुस्तकें सप्लाई करता था, उस कारोबार को प्रमोट करने में डा. बराड़ का भी योगदान था। जब भी अलग अलग विश्वविद्यालयों में कोई बड़े कार्यक्रम होते थे तो वहां डा. बराड़ अपने बेटे आनंतप्रीत को साथ लेकर जाते थे और विभिन्न विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों के मुखियों के साथ अपने बेटे की मुलाकात करवाते थे।

आउट सोर्सिग से करवाई जाती थी प्रिंटिंग

डा. बराड़ ने जीएनडीयू में स्थित प्रिंटिंग प्रेस से काम करवाना बंद करवा कर सभी प्रास्पेक्टस सहित पुस्तकों की प्रिंटिंग भी आउट सोर्सिग से करवाना शुरू कर दिया था। इस पर कैग ने भी एतराज जताया था।

कंप्यूटर खरीद में हुआ था कथित घोटाला

डा. बराड़ हर काम अपने बेटे आनंतप्रीत के माध्यम से करवाते थे। आनंतप्रीत जीएनडीयू में हुई कथित अलग अलग प्रचेजिंग में मीडिएटर की भूमिका निभाता था। जीएनडीयू की ओर से डा. बराड़ के कार्यकाल में एक हजार कंप्यूटर आइबीएम कंपनी से खरीदे गए। परंतु जब गारंटी समय में ही इन कंप्यूटरों में प्राबलम आई तो पता चला कि आइबीएम के कंप्यूटरों में किसी और कंपनी का सामन लगा है।

जालंधर रिजनल सेंटर की भूमि बन सकती है फांस

टीचिंग यूनियन के सूत्र बताते है कि वीसी बनने के बाद डा.बराड़ ने जालंधर रिजनल सेंटर की भूमि की मालिकी के अधिकार के लिए चल रहे केस में विश्वविद्यालय जीतती आ रही थी। परंतु हाईकोर्ट में जब केस जीएनडीयू के पक्ष में होने की संभावना हुई तो डा बराड़ ने सिंडीकेट व सिनेट की मंजूरी लिए बिना ही हाईकोर्ट में हलफिया बयान देकर केस वापिस ले लिया, जिसकी एवज में उन्हें तीन वर्ष के लिए पद पर एक्सटेंशन मिली थी।

खालसा विश्वविद्यालय को भी दी थी एनओसी

डा. बराड़ की पत्‍‌नी खालसा पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल थी। वे वहां से एक लाख से अधिक वेतन लेती थीं। यह वेतन अकाउंट की जगह बाउचर से दिया जाता था। आरोप है कि इसी के चलते खालसा विश्वविद्यालय को डा बराड़ ने एनओसी दी थी। खालसा कालेज आफ एजूकेशन के एक प्रिंसिपल को जीएनडीयू के साथ संबंधित कालेज का प्रिंसिपल रहते हुए ही खालसा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के पद की नौकरी भी बिना मंजूरी के करने की अनुमति दी गई।

वेलफेयर सोसाईटी का नहीं है कोई रिकार्ड

डा. बराड़ की पत्‍‌नी ने एक आधार वेलफेयर सोसाइटी बनाई थी। ताकि गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए और उनके प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने के लिए तैयारी करवानी है। इस सोसाइटी के नाम पर बड़ी राशि इकट्ठा की गई। पैसों का कोई रिकार्ड नही रखा गया।

नियुक्तियों को लेकर भी रहे सवालों के घेरे में

आरोप यह भी है कि डा. बराड़ ने एक प्रोग्राम को सीधे एसोसिएट प्रोफेसर, बाद में इस प्रोफेसर को एक विभाग का मुखी भी लगा दिया गया। दोआबा के एक कालेज प्रिंसिपल को नियमों के खिलाफ जा एक विभाग का मुखी बना दिया गया।

सेंट्रल विश्वविद्यालय मामले से बचाए थे नेता

केंद्र सरकार ने अमृतसर के लिए एक व‌र्ल्ड विश्वविद्यालय और एक सेंट्रल विश्वविद्यालय को मंजूर किया था। अमृतसर में एक निजी विश्वविद्यालय के लिए रास्ता साफ करने के लिए विश्वविद्यालय को बठिंडा शिफ्ट करवा दिया। बठिंडा में कुछ सत्ताधारी नेताओं की कुछ बंजर भूमि थी जिसका रेट बहुत ही कम था। सत्ता के साथ जुड़े लोगों ने अपने जमीन के साथ लगती बंजर जमीन जो बंजर थी सस्ते दामों पर खरीद ली। और विश्वविद्यालय के लिए महंगे रेट पर केंद्र सरकार को बेच दी। इस मामले में बराड़ ने आरोपियों को क्लीन चिट दे जीएनडीयू का वीसी पद लिया

उधर जीएनडीयू टीचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष डा एनपीएस सैनी और सचिव डा अमरजीत सिंह सूदन कहते है कि जीएनडीयू के वीसी डा बराड़ के उपर जितने भी आरोपी उनके संगठन या फिर अन्य संगठनों की ओर से लगाए जाते रहे है उनकी जांच होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.