हुण मैं झूठ नहीं बोलदा से उजागर हुई दिलों की दूरियां
जागरण संवाददाता, अमृतसर एक वो जमाना था, जब बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी की गोद में बैठक कर कह
जागरण संवाददाता, अमृतसर
एक वो जमाना था, जब बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी की गोद में बैठक कर कहानियां सुना करते थे, लेकिन वर्तमान में हम इतनी तरक्की कर गए हैं कि उक्त रिश्तों को ही भूल गए हैं। दादा-दादी और नाना-नानी से कहानिया सुनने वाले बच्चे आज इंटरनेट और वीडियो गेमों में ही व्यस्त रहते हैं। व्यक्ति एक दूसरे के करीब रहते हुए भी कोसों दूर हैं। वैसे तो ग्लोबलाइजेशन के दौर का नारा है कि कर लो दुनिया मुट्ठी में, दुनिया मुट्ठी में तो आ गई है। मगर हमारे दिलों और रिश्तों की दूरिया भी बढ़ गई हैं। व्यक्ति हर जगह किसी न किसी रूप में झूठ बोलता है। इन्हीं सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए वर्ल्ड थिएटर दिवस पर विरसा विहार में पंजाबी नाटक 'हुण मैं झूठ नहीं बोलदा' पेश किया गया।
कहानियों का कोलाज है नाटक
विरसा विहार सोसायटी के प्रधान और शिरोमणि नाटककार केवल धालीवाल ने बताया कि उक्त नाटक सिमरन धालीवाल की कहानियों का कोलाज है। इसमें लोक कहानिया दा अंत, भीड़ विच्च गवाचा चेहरा, जिन्हा दा कोई नहीं हुंदा और हुण मैं झूठ नहीं बोलदा भी शामिल र्है। ग्रुप एक्टर आन स्टेज द्वारा पेश किए नाटक का निर्देशन दीप मनदीप ने किया। उन्होंने कहा कि समाज भीतर ही भीतर टूट रहा है, यदि इसे संभाला न गया तो भविष्य में घातक परिणाम हो सकते हैं।
इन्होंने निभाई भूमिका
दीप मनदीप के निर्देशन में पेश हुए नाटक में पावेल संधू, हरनेक सिंह औलख, परगट सिंह, सुरेश विंकल, मनदीप निक्की, दक्षित अरोड़ा, गुलशन सग्गी, साजन कपूर, रियाज औलख आदि ने भूमिका निभाई। जबकि संगीत हरनेक सिंह औलख, प्रोडक्शन परगट सिंह, बैक स्टेज अनमोल और सेट पर अशोक अजीज ने सहयोग दिया।