विभाजन के मुद्दे पर ब्रिटिश संसद माफी मांगे
जागरण संवाददाता अमृतसर : दो दशकों से भारत-पाकिस्तान के मध्य पुल का काम कर रहे फोकलोर रिसर्च अकादमी न
जागरण संवाददाता अमृतसर : दो दशकों से भारत-पाकिस्तान के मध्य पुल का काम कर रहे फोकलोर रिसर्च अकादमी ने ब्रिटिश सांसदों से मांग की है कि विभाजन के लिए ब्रिटिश संसद दोनों देशों से माफी मांगे। ब्रिटिश सरकार ने दोनों देशों को विभाजित कर सदियों पुरानी सांझ को तोड़ा है। विभाजन का दंश दोनों देशों के लाखों लोगों ने झेला। दस लाख पंजाबी इस विभाजन के दौरान मौत का शिकार हो गए।
रंजीत एवेन्यू स्थित एक होटल में आयोजित सेमिनार में फोकलोर के मुखिया रमेश यादव ने ब्रिटिश सांसदों को बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन जनरल सेक्रेटरी काफी अन्नान को भी इस संदर्भ में मांग पत्र सौंपा गया था। रमेश यादव ने ब्रिटिश सांसदों को भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुए कत्लेआम के चित्र भी सौंपे।
यादव ने कहा कि धर्म के आधार पर हुआ भारत-पाकिस्तान का विभाजन गैर सैद्धांतिक था। विभाजन का कोई धार्मिक आधार नहीं था। यादव ने कहा कि जिस प्रकार कामागाटामारू दुखांत पर कनाडा सरकार ने संसद में माफी मांगी है। भारतीय लोगों की भावनाओं को समझते हुए ब्रिटिश संसद इस विभाजन पर भी माफी मांगे।
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ब्रिटिश सांसद बोले, तत्कालीन भारतीय राजनेता चाहते थे विभाजन
इस अवसर पर उपस्थित ब्रिटिश सांसद डेविड हेनसन, बॉब ब्लैकमेन व बारोनोर बारकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान का विभाजन ब्रिटिश सरकार की देन नहीं थी। उस समय विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने ही भारत के विभाजन का समर्थन किया था। भारत पाकिस्तान का विभाजन प्राकृतिक नहीं था। तीनों सांसदों ने कहा कि भारत पाकिस्तान का विभाजन उनके पैदा होने से पहले का है। स्पष्ट है कि इस विभाजन पर ब्रिटेन सरकार सहमत नहीं थी। ब्रिटिश सांसदों ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के विरुद्ध ठोस कदम उठाने चाहिए। ब्रिटेन की भारत-पाकिस्तान के साथ गहरी दोस्ती है। साउथ एशिया में स्थायी शांति के लिए दोनों देशों को एक दूसरे के निकट आना होगा। ब्रिटिश सांसदों ने विश्वास दिलाया है कि वह विभाजन के संदर्भ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे।