उड़ने से पहले दो कबूतरबाज गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, अमृतसर लोगों को विदेश के लुभावने सपने दिखाकर करोड़ों की ठगी करने वाले शातिर कबूरबा
जागरण संवाददाता, अमृतसर
लोगों को विदेश के लुभावने सपने दिखाकर करोड़ों की ठगी करने वाले शातिर कबूरबाजों को पुलिस ने वीरवार देर रात धर दबोचा। आरोपियों के कब्जे से 157 लोगों के पासपोर्ट, कई देशों के फर्जी वर्क परमिट, एक कंप्यूटर, रंगदार प्रिंटर, सीपीयू बरामद कर धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में बी डिवीजन थाने में केस दर्ज किया गया है।
पुलिस लाइन में शुक्रवार शाम आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस कमिश्नर अमर सिंह चाहल ने बताया कि हरियाणा के सोनू शाह ने शिकायत की थी कि न्यू अमृतसर इलाके में विंग्स इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी खोलकर लोगों को विदेश भेजने का कारोबार किया जा रहा है। उक्त कंपनी को तरनतारन निवासी गुरमीत सिंह, राणा गार्डन कालोनी निवासी दविंदर सिंह उर्फ बंटी और जहांगीर गांव निवासी संदीप सिंह चला रहे हैं। आरोपियों के कार्यालय में छापेमारी कर गुरमीत सिंह और दविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी जालंधर के एक डायग्नोस्टिक सेंटर से बाहर जाने वाले व्यक्ति का मेडिकल करवाते थे और बदले में पांच हजार रुपये वसूल करते थे। संदीप सिंह की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। इसके अलावा मामले में 11 अन्य लोगों पर भी नजर रखी जा रही है। इस मौके पर एडीसीपी लखबीर सिंह, एडीसीपी गौरव गर्ग, एसीपी बाल कृष्ण सिंगला और आईपीएस दीपक पारेख मौजूद थे।
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काफी बड़ा है कबूतबाजों का नेटवर्क : पुलिस
कमिश्नर अमर सिंह चाहल ने बताया कि गुरमीत सिंह, दविंदर और संदीप सिंह का नेटवर्क काफी बड़ा है। वह बड़े योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे थे। छापेमारी के दौरान उन्हें पता चला कि आरोपी पंजाब के अलावा यूपी, मध्य प्रदेश, हरियाणा और ओरिशा के लोगों को भी अपने जाल में फंसा चुके थे।
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फर्जी वर्कपरमिट का लेते थे 70 हजार रुपये
आरोपी फर्जी वर्क परमिट तैयार करने का 70 हजार रुपये मांगते थे। बीस हजार रुपये बतौर एडवांस लिया जाता था और शेष 50 हजार रुपये दस्तावेज तैयार होने के बाद वसूले जाते थे। आरोपियों ने स्वीकार किया कि मोटी राशि एकत्र करने के बाद उन्होंने चुपके से फरार हो जाना था।
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मुलाजिम खुद को ही बताते थे मालिक
विंग्स इंटरप्राइजेज में काम करने वाली लड़कियां को आरोपियों ने इतनी छूट दे रखी थी कि वह खुद को मालिक ही बताती थीं। अगर कोई ग्राहक लाखों रुपये का भुगतान करने से पहले मालिक से मिलने या बात करने की बात कहता तो लड़कियां (मुलाजिम) खुद को ही मालिक बताती थीं।