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32 लाख के कारण अंधेरे में डूबा शहर

जागरण संवाददाता, अमृतसर नगर निगम में विपक्ष के नेता राजकंवल सिंह ने कहा कि एक साल से अमृतसर अंधेरे

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 08:09 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 08:09 PM (IST)
32 लाख के कारण अंधेरे में डूबा शहर

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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नगर निगम में विपक्ष के नेता राजकंवल सिंह ने कहा कि एक साल से अमृतसर अंधेरे में डूबा हुआ है। ठेका सिस्टम खत्म होने के बाद सभी 65 वार्डो में इलेक्ट्रिशियन व हेल्पर तो रख लिए गए हैं, लेकिन 32 लाख का साजोसामान न खरीदने के कारण शहर में उजाला नहीं फैल पाया है।

लक्की ने कहा कि अर्से से ठेके पर चल रहे तकरीबन 60 हजार स्ट्रीट लाइट प्वाइंट का ठेका मई 2015 में खत्म हो गया था। स्ट्रीट लाइट के ठेके पर सालाना 271.72 करोड़ खर्च हो रहे थे। ठेकेदारी सिस्टम खत्म करने के बाद स्ट्रीट लाइट के रखरखाव के लिए 30 दिसंबर 2015 को हाउस में प्रस्ताव पारित कर 65 वाडरें के लिए 65 इलेक्ट्रिशियन व 65 हेल्पर रखने का फैसला लिया था। स्थानीय निकाय विभाग की मंजूरी मिलने के बाद फरवरी 2016 में 65 वाडरें के लिए 65 इलेक्ट्रिशियन व 65 फिटर डीसी रेट पर रख लिए थे। इलेक्ट्रिशियन को रोजाना 293 रुपये व हेल्पर को 263 रुपये पर रखा गया है, लेकिन तीन माह से इन्हें वेतन हीं दिया गया है।

लक्की ने कहा कि 65 वाडरें के इलेक्ट्रिशियन व हेल्पर पर तकरीबन रोजाना 36 हजार रुपये, एक महीने में 11 लाख रुपया खर्च हो रहा है, लेकिन जरूरी साजोसामान (ट्यूब, चैक, 70, 150 वॉट के बल्ब व सीएफएल के बल्ब) न होने के कारण यह मुलाजिम खाली बैठे हैं। लक्की ने कहा कि निगम की वित्त व ठेका कमेटी के सामने साजो-सामान खरीदने के लिए 32 लाख की फाइल तैयार करके भेजी गई है, लेकिन न तो मेयर एफएंडसीसी की बैठक बुला रहे हैं और न ही डीसी रेट पर रखे मुलाजिमों को कोई साजोसामान दे रहे हैं। लक्की ने कहा कि 30 दिसंबर 2015 को हाउस की बैठक में स्ट्रीट लाइट की देखरेख के लिए नए बनाए गए तख्मीनों का विवरण दिया गया था। इसके तहत शहर के पांचों हलकों के सामान की अनुमानित लागत 131.08 लाख, लेबर का अनुमान 156.27 लाख व कुल 287.35 लाख रुपये पास करने के बावजूद 32 लाख रुपये का अभी तक सामान नहीं आया है।

लक्की की आंखें खराब : मेयर

मेयर बख्शीराम अरोड़ा ने कहा कि राजकंवल लक्की की या तो आंखें खराब हैं या आंखों के सामने कोई परदा है। इसलिए न तो उन्हें गुरु नगरी का विकास दिखता है और न ही रात में चमचमाती लाइटें। स्ट्रीट लाइट व्यवस्था पहले से काफी सुधरी है। ठेका सिस्टम खत्म करने के बाद हर वार्ड को इलेक्ट्रिशियन व हेल्पर दिए गए हैं। साजोसामान भी खरीदे जा रह हैं।


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