डॉ. सिद्धू ने एक बार फिर खोला मोर्चा
अशोक नीर, अमृतसर : मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को विकास के मुद्दे
अशोक नीर, अमृतसर : मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को विकास के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करने के बाद भंडारी ब्रिज में मरणव्रत पर बैठ कर पंजाब सरकार की फजीहत करवाने वाली मुख्य संसदीय सचिव डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने अब नगर निगम के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
डॉ. सिद्धू ने दो टूक कहा कि यदि उनकी मांगें न मानी गई तो 24 दिसंबर को अमृतसर में अकाली-भाजपा की सद्भावना रैली का वह घेराव करेंगी। अपने समर्थकों के साथ सड़क पर बैठ जाएंगी। जरूरी हुआ तो चक्का जाम करेंगी। इस बार मरणव्रत पर बैठने की गलती नहीं करेगी। जरूरी हुआ तो कोर्ट में जाने से गुरेज नहीं करेंगी।
बीते साढे़ तीन वर्ष के दौरान स्थानीय निकाय मंत्री अनिल जोशी के साथ खट्टे-मीठे संबंधों के बीच दोनों नेताओं द्वारा तालमेल बनाने की कोशिशों के बावजूद डॉ. सिद्धू ने जोशी के ही विभाग के कमिश्नर नगर निगम प्रदीप सभ्रवाल को चेतावनी दी है कि उन्होंने जो सवाल उनसे पूछे हैं उनके पंद्रह दिन के भीतर जवाब न मिले तो वह निगम में ताला लगाने से गुरेज नहीं करेगी। अपने समर्थकों के साथ वह सड़क पर आ जाएंगी।
नगर निगम में ढुलमुल कार्यशैली पर मेयर बख्शी राम अरोड़ा को भी लपेटते हुए डॉ. सिद्धू ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि जिस पद पर उन्हें बिठाया गया है, उससे वह जिम्मेदारी से निभाएं। मेयर बख्शी राम अरोड़ा द्वारा शहर की सफाई व्यवस्था पर अनिल जोशी पर लगाए गए आरोपों पर डॉ. सिद्धू ने जोशी को क्लीन चिट देते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी तो मेयर व कमिश्नर की है। मंत्री शहर के विकास के लिए फंड जारी कर सकता है। निगम कर्मचारियों से काम लेना मेयर की जिम्मेदारी है। निगम में पैसा न होने की दुहाई देने वाले मेयर यदि इंकम का जुगाड़ नहीं कर सकते तो वो निगम को ताला लगा कर घर क्यों नहीं बैठ गए।
डॉ. सिद्धू ने खुलासा किया है कि बीते तीन वर्षो से वह अपने प्रश्नों के उत्तर लेने के लिए निगम कार्यालय में भटक रही हैं। निगम कमिश्नर का रवैया एक विधायक के प्रति ऐसा है तो आम लोगों की सुनवाई कहां होती होगी। तीन सालों से वह पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट निगम कमिश्नर को सौंप चुकी हैं। बस स्टैंड के पास सूरज चंदा तारा के सामने वाली सड़क को बनाकर बसों का आना जाना उधर से सुनिश्चित किया जाए। कमिश्नर ने कोई सुनवाई नहीं की। बस स्टैंड को बाहर शिफ्ट किए जाने की बात रखी गयी थी। उस पर भी अमल नहीं हुआ। सिटी बसों के घाटे के कारण निगम पर भी सवाल उठाए गए थे।
डॉ. सिद्धू ने कहा कि उनके पति पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू नौ वर्ष पहले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्रोजेक्ट को लेकर आए थे। तब कंपनी ने एक टन कचरे के लिए पांच सौ रुपये लिए थे तो इस प्रोजेक्ट में रोडे़ अटका दिए गए। अब इस प्रोजेक्ट को 1800 रुपये प्रति टन किस कंपनी को किस आधार पर सौंपा जा रहा है। इसका जवाब अभी तक क्यों नहीं मिला।
सड़कें तोड़ते हैं लेकिन रिपेयर नहीं करते
डॉ. सिद्धू ने कहा कि निगम व रिलायंस के बीच क्या समझौता हुआ है, इसका एमओयू सार्वजनिक किया जाए। रिलायंस कंपनी वाले जब चाहे सड़क तोड़ देते हैं। सीवरेज व पानी की पाइपों को नुकसान पहुंचा देते हैं। उनकी रिपेयर नहीं करते है। गौशाला के लिए सरकार शामलाट भूमि अलाट करे। गाय लावारिस घूम रही हैं। गंदगी के ढेर पर बैठी है। गाय को एक स्थान पर रख कर उसके गोबर व मूत्र को बेच कर करोड़ों रुपये की कमाई की जा सकती है।
भगवंत मान की बात का समर्थन
डॉ. सिद्धू ने भगवंत सिंह मान की बात का समर्थन करते हुए कहा कि उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल व अन्य नेताओं का डोप टेस्ट होना चाहिए। नेताओं का नहीं पंजाब पुलिस के अधिकारियों का भी डोप टेस्ट करवाना जरूरी है। डॉ. सिद्धू ने स्पष्ट किया कि मान के बयान का समर्थन का अर्थ यह नहीं है कि वह आम आदमी पार्टी में जा रही है। वह तथा उनके पति नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा के वर्कर है और रहेंगे।