100 नंबर का टेस्ट, गुरु नगरी को बनना होगा बेस्ट
अशोक नीर, अमृतसर केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए देश भर के सौ शहरों के चयन के लिए रखी 100
अशोक नीर, अमृतसर
केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए देश भर के सौ शहरों के चयन के लिए रखी 100 नंबर की परीक्षा से पास होना जिला प्रशासन के लिए आसान नहीं है। 'अटल मिशन फार रिजुवीनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन' (अमृत) के अंतर्गत बनाए जाने वाले स्मार्ट शहरों में गुरु नगरी शामिल करनवाना शासन व शासक तंत्र के लिए बड़ी चुनौती है।
श्री हरिमंदिर साहिब की इस पावन नगरी को 'स्मार्ट सिटी' का दर्जा मिले, इसके लिए मेयर बख्शी राम अरोड़ा व नगर निगम के कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल ने बीते सप्ताह दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय को दो हजार करोड़ के विभिन्न प्रोजेक्टों की डीपीआर तो सौंप दी है, लेकिन शहर की मूल समस्याओं पर डीपीआर खामोश है। डीपीआर शहर में सात रेलवे ओवर ब्रिज, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक सीमित है। शहर का विकास कैसे हो, इसके लिए निगम के पास कौन सा ब्लू प्रिंट है। दोपहिया, चौपहिया, रिक्शा और आटो रिक्शों का भार झेल रही तंग गलियों, बाजारों, चौक चौराहों की हालत कैसे सुधरेगी। इसके लिए निगम के पास कोई प्लान नहीं है।
गुरु नगरी को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिले इससे पहले ही उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पिछले आठ वर्षो से प्रयास कर रहे है। इसके बावजूद शहर का बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है। विकास का फोकस सिविल लाइन क्षेत्र तक सिमट गया है। श्री हरिमंदिर साहिब के आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण योजना के अंतर्गत गोल्डन प्लाजा में 120 करोड़ की राशि खर्च कर दी गयी है। तंग बाजारों व गलियों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार आए। इसके लिए कोई भी प्रयास नहीं हुए है।
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श्रद्धालुओं को नहीं मिली कोई सुविधा
बीते आठ वर्षो से श्री हरिमंदिर साहिब में प्रतिदिन आने वाले डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पाया है। कोतवाली चौक से लेकर गोल्डन प्लाजा तक की सड़क तक भारी भीड़ के दबाव में है। जलियांवाला बाग में नमन करने आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधाओं का अभाव है। श्री दुग्र्याणा तीर्थ के सौंदर्यीकरण के लिए चालीस करोड़ रुपये की योजना कछुआ रफ्तार से चल रही है। पिछले दो वर्षो से पार्किंग स्थल का निर्माण नहीं हो पाया है।
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सड़क को चौड़ा करने की योजना में अड़चन
कोतवाली चौक से गोल्डन प्लाजा सड़क को चौड़ा करने की योजना खतरें में है। फव्वारा चौक में केवल कंप्यूटरीकृत फव्वारा व बड़ी बड़ी एलसीडी लगाने से सुविधाएं पूरी नहीं हो जाएगी। जब तक श्री हरिमंदिर साहिब के आसपास के क्षेत्र को चौड़ा करने के लिए सड़क किसी ब्लू प्रिंट पर अमल नहीं करेगी, तब तक इस पूरे क्षेत्र का विकास असंभव है। पिछले चार साल से हाल गेट से लेकर दरबार साहिब तक बिजली की तारों को अंडर ग्राउंड नहीं किया जा सका है। उप मुख्यमंत्री ने हाल गेट से दरबार साहिब तक सभी बाजारों, मार्केटों, रिहायशी स्थलों का फ्रंट एलिवेशन एक जैसा करने की घोषणा की थी जिस पर कोई अमल नहीं हुआ है।
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वाहनों की संख्या में हुई वृद्धि
आटो क्रांति के बाद गुरु नगरी में चौपहिया व दोपहिया वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। पिछले 15 वर्षो में गुरु नगरी में चौपहिया वाहनों की संख्या पंद्रह लाख बढ़ गयी है। लगभग बीस लाख से अधिक दोपहिया वाहन है। इनकी पार्किंग के लिए प्रबंधों की कमी है। लोग फुटपाथों व सड़कों पर ही अपने वाहन खड़े कर रहे हैं।
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2030 में होगी आबादी 24 लाख
2011 की जनगणना के अनुसार गुरु नगरी की आबादी 13 लाख 24 हजार थी। 2001 में आबादी साढे 9 लाख थी। संभावना है कि 2030 तक यहां की आबादी 24 लाख के आसपास होगी। 24 लाख की आबादी का भार झेलने के लिए गुरु नगरी की सड़कें बहुत छोटी है। सबसे बड़ी समस्या चारदीवारी के शहर की है। जहां लोग पीढ़ी दर पीढ़ी तंग व छोटे घरों में रह रहे हैं। शहर की कई गलियां ऐसी हैं, जहां से मोटरसाइकिल सवार को भी निकलने में परेशानी होती है।
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चुनौतियां
-चारदीवारी के शहर की तंग गलियां व सड़कें
-वाहनों के लिए पार्किंग व्यवस्था का अभाव
-गलियों व बाजारों में लगे कूड़े के ढेर
-तंग गलियों में पानी की सप्लाई में प्रेशर नहीं
-शहर में नए टयूबवेल के जगह का अभाव
-पीढ़ी दर पीढ़ी घरों में रहने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी।
-बरसात में तंग गलियों व बाजारों में पानी जमा रहता है
-शहर स्टार्म वाटर सिस्टम से पानी को बाहर निकालने की व्यवस्था नहीं
-45 वर्ष पूर्व सीवरेज डाला गया था, तब आबादी मात्र चार लाख थी
-निगम की आर्थिक हालत खराब सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं
-सफाई कर्मचारी न होने के कारण कूड़े की लिफ्टिंग में समस्या आती है।
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नए सर्कुलर रोड की आवश्यकता
शहर की समस्याओं को दूर करने के लिए लगभग चालीस वर्ष पहले 12 गेटों के बाहर एक सर्कुलर रोड का निर्माण किया गया था। इस रोड के निर्माण के बाद ट्रैफिक समस्या का भार इस सड़क पर पड़ गया। सर्कुलर रोड पर अब यातायात जाम रहने लगा है। पुराने और नए शहर के बीच यातायात को राहत देने के लिए एक नई सर्कुलर रोड की जरूरत है। इसके लिए नगर निगम की हद तक जिला प्रशासन के पास ऐसी कोई भूमि नहीं है कि अब नया सर्कुलर रोड तैयार हो सके।
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चार दशक पूर्व बसी कालोनियां भी हो गई तंग
लगभग चालीस-पचास वर्ष पूर्व बनी कालोनियां ग्रीन एवेन्यू, बसंत एवेन्यू, व्हाइट एवेन्यू, ब्यूटी एवेन्यू, रानी का बाग क्षेत्र, मेडिकल एंकलेव भी आबादी बढ़ने के साथ तंग होने लगी है। इन क्षेत्रों के विकास के लिए 2030 में नई तरह की चुनौतियां होगी। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती पार्किंग व सीवरेज की होगी।
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लुप्त हो गए कल-कारखाने
कभी अमृतसर टैक्सटाइल उद्योग का हब था। ग्रीन व काली चाय की मार्केट थी। धागे का कारोबार अमृतसर में होता था। टूल मशीन, पंखा उद्योग में अमृतसर की तूती बोलती थी। ये उद्योग समाप्त होते गए हैं। वहां पर बड़ी बड़ी कालोनियां बन गयी है। लोगों की आर्थिकता का साधन छोटी-छोटी दुकानें रह गयी है। व्यापारिक घरानों की नई पीढि़यां पढ़ लिख कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम को तवज्जो देने लगी है।