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पंजाबी भाषा के लिए कदम उठाने की जरूरत

जागरण संवाददाता, अमृतसर : पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत के लिए निरंतर कार्यशील जनवादी लेखक संघ की बैठक शा

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 07:24 PM (IST)
पंजाबी भाषा के लिए कदम उठाने की जरूरत

जागरण संवाददाता, अमृतसर : पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत के लिए निरंतर कार्यशील जनवादी लेखक संघ की बैठक शायर निर्मल अर्पण के गृह में हुई। पंजाब दिवस पर हुई इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सभा के उप प्रधान दीप दविंदर सिंह, जनवादी लेखक संघ के प्रधान देव दर्द, हरभजन खेमकरणी व निर्मल अर्पण ने संयुक्त रूप में की। प्रो. पूर्ण सिंह की पंक्तियां 'पंजाब जिउंदा गुरु दे नाम' के हवाले से शुरू हुई बातचीत पंजाब की वर्तमान हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राजनीतिक धड़ों ने राजनीतिक लाभ लेने की खातिर भाषा के आधार पर पंजाबी सूबा बनाया। लेकिन पंजाबी भाषा को प्रफुल्लित करने के लिए किसी भी राजनीतिक गुट ने सुहृदय से कोई कदम नहीं उठाया। आधी सदी के इस लंबे अंतराल में पंजाब को न अपनी हाईकोर्ट व न ही अपनी राजधानी नसीब हुई है। पंजाब में शासन करने वाली सरकार भाषा एक्ट लागू करने में हमेशा आनाकानी करती रही है। इस कारण सरकारी दफ्तरों में अफसरशाही कामकाज पंजाबी में नहीं करती व राज्य के बहुत से स्कूलों में बच्चों पर पंजाबी बोलने की पाबंदी है। इसके लिए लेखक संगठन पिछले कई दशकों से पंजाबी मां बोली के पक्ष में निरंतर आवाज उठाते रहते हैं।

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इस अवसर पर डॉ. हजारा सिंह चीमा, सुमित सिंह, डॉ. कश्मीर सिंह, इंद्र सिंह मान, धरविंदर सिंह औलख, हरबंस सिंह, गुरबाज सिंह, रवि ठाकुर, कुलवंत सिंह, मनमोहन बासरके आदि मौजूद थे।


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