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मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से तीन मंत्री, एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री की आस पूरी

Gajendra Singh Shekhawat. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 01:46 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 01:07 PM (IST)
मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से तीन मंत्री, एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री की आस पूरी
मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से तीन मंत्री, एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री की आस पूरी

मनीष गोधा, जयपुर। केंद्र की एनडीए सरकार में राजस्थान से एक कैबिनेट मंत्री की आस आखिर इस बार पूरी हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। गजेंद्र सिंह शेखावत को जल शक्ति मंत्री बनाया गया है। यह पहला मौका है, जब एनडीए सरकार में राजस्थान के किसी लोकसभा सांसद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राजस्थान से दो और सांसदों को राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। पिछली बार प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के साथ राजस्थान से जहां सिर्फ एक सांसद को मंत्री बनाया गया था, वहीं इस बार प्रधानमंत्री की शपथ के साथ ही राजस्थान से तीन सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल और बाड़मेर सांसद कैलाश चौधरी को राज्यमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

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जातिगत संतुलन के हिसाब से देखें तो राजस्थान से अनुसूचित जाति, जाट और राजपूत समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। हालांकि चयन में क्षेत्रीय असंतुलन जरूर नजर आ रहा है, क्योंकि तीन मंत्री उत्तर- पश्चिमी राजस्थान से हो गए हैं। दक्षिणी और पूर्वी राजस्थान से किसी को भी मौका नहीं मिल पाया है। मंत्री पद के लिए जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का नाम भी चर्चा में था और इनकी संभावना इसलिए भी मानी जा रही थी, क्योंकि पिछली बार वे राजस्थान से इकलौते स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री थे। हालांकि इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है।

शेखावत को मुख्यमंत्री के बेटे को हराने का मिला इनाम
केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाए गए गजेंद्र सिंह शेखावत यूं तो पिछली सरकार में भी राज्यमंत्री थे और अपने काम के दम पर कुछ ही समय में प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के चहेतों में शामिल हो गए थे। यही वजह थी कि उन्हें राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की तैयारी भी थी। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोध के कारण शेखावत प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जा सके लेकिन बाद में उन्हें विधानसभा चुनाव की प्रबंध समिति का संयोजक बनाया गया। पार्टी ने उन्हें एक बार फिर जोधपुर से प्रत्याशी बनाया और इस बार उन्होंने राजस्थान की सबसे हॉट सीट जोधपुर से चुनाव जीता। यहां कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव प्रत्याशी थे। गजेंद्र सिंह ने उन्हें पौने तीन लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया। माना जा रहा है उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाना इस बड़ी जीत का ही इनाम है।

गौरतलब है कि जोधपुर राजस्थान का अकेला ऐसा संसदीय क्षेत्र था जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, दोनों प्रचार करने पहुंचे।

वरिष्ठता का लाभ मिला मेघवाल को
राजस्थान से दूसरे मंत्री अर्जुनराम मेघवाल हैं जो लगातार तीसरी बार बीकानेर से सांसद बने हैं। अनुसूचित जाति समुदाय से होने के अलावा मेघवाल को संसदीय कार्य का भी अच्छा अनुभव हो गया है। अपने पहले कार्यकाल में उन्हें श्रेष्ठ सांसद के रूप में भी सम्मानित किया गया था, वहीं दूसरे कार्यकाल में वित्त राज्यमंत्री बने। इस बार उन्होंने बीकानेर सीट से अपने ही मौसेरे भाई कांग्रेस प्रत्याशी मदनगोपाल मेघवाल को ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हराया है। मेघवाल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं, ऐसे में उन्हें प्रशासन का भी अच्छा अनुभव है। विधायक का चुनाव हारे चौधरी ने जीता बड़ा चुनाव और बन गए मंत्री राजस्थान से मंत्री के लिए चुने गए नामों में से सबसे चौंकाने वाला नाम कैलाश चौधरी का है। जाट समुदाय से आने वाले चौधरी विधायक रह चुके हैं लेकिन इस बार विधानसभा का चुनाव हार गए थे।

बाड़मेर सीट से उनकी उम्मीदवारी पर सबने आश्चर्य भी प्रकट किया था क्योंकि इस सीट पर दावेदारी यहां से पिछली बार सांसद रहे कर्नल सोनामरा और टिकट के लिए पुलिस की नौकरी छोड़ने आईपीएस अधिकारी की मानी जा रही थी, लेकिन अंतिम समय पर कैलाश चौधरी का नाम तय हो गया। उनके सामने कांग्रेस से पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह मैदान में थे जो विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। शुरुआत में चौधरी को मानवेंद्र सिंह के सामने बहुत हल्का उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन चौधरी ने मानवेंद्र को करीब सवा तीन लाख वोटों से हराया। हालांकि कैलाश चौधरी विवादास्पद बयानों के लिए भी जाने जाते हैं।

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