Move to Jagran APP

झारखंड में दलबदल पर बड़ा फैसला, JVM के छह विधायकों का BJP में विलय सही; पढ़ें स्‍पीकर कोर्ट का पूरा फैसला

Jharkhand Legislative Assembly. स्‍पीकर दिनेश उरांव ने चार साल से चल रहे छह विधायकों के दलबदल मामले में भाजपा के पक्ष में फैसला दिया है। विधायकों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:51 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 05:08 PM (IST)
झारखंड में दलबदल पर बड़ा फैसला, JVM के छह विधायकों का BJP में विलय सही; पढ़ें स्‍पीकर कोर्ट का पूरा फैसला
झारखंड में दलबदल पर बड़ा फैसला, JVM के छह विधायकों का BJP में विलय सही; पढ़ें स्‍पीकर कोर्ट का पूरा फैसला

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के छह विधायकों के बहुचर्चित दलबदल मामले में स्पीकर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इन सभी छह विधायकों के भाजपा में विलय को सही ठहराते हुए स्‍पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि यह संवैधानिक है। हालांकि दलबदल के आरोपित छह विधायकों में से कोई भी विधायक फैसला सुनने नहीं पहुंचा है।  स्‍पीकर कोर्ट ने झारखंड विकास मोर्चा के अध्‍यक्ष पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी की याचिका खारिज करते हुए दलबदल को सही कहा है।

loksabha election banner

इधर भाजपा के पक्ष में फैसला आने से पार्टी में जश्‍न का माहौल है। पार्टी इसे लोकसभा चुनाव के पहले नैतिक जीत और संजीवनी मान रही है। फैसले से असहमति जताते हुए झाविमो ने हाई कोर्ट जाने की बात कही है। बीजेपी के अधिवक्‍ता इसे न्‍याय की जीत बता रहे हैं। झाविमो अधिवक्‍ता राज नंदन सहाय ने फैसले के खिलाफ रिट पिटीशन दाखिल करने की बात कही है। भाजपा अधिवक्‍ता विनोद कुमार साहू ने कहा कि दसवीं अनुसूची के तहत यह दलबदल का मामला नहीं बनता था।

किसने क्‍या कहा
झाविमो के महासचिव खालिद खलील ने इस फैसले को लोकतंत्र की हत्‍या बताया है। पूर्व मंत्री सह झाविमो नेता रामचंद्र केशरी ने इसे पैसे का खेल बताया है। फैसले के बाद दलबदल के आरोपित विधायक जानकी यादव ने कहा कि यह न्‍याय की जीत है। उन्‍होंने स्‍पीकर के प्रति अपना आभार जताया। उन्‍होंने कहा कि स्‍पीकर ने विधिसम्‍मत फैसला दिया है। दो तिहाई से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों ने जेवीएम का भाजपा में विलय किया था। तब मेरी अध्‍यक्षता में बैठक हुई थी और मैंने ही झाविमो का भाजपा में विलय किया था।

जानकी यादव ने कहा कि आठ में से छह विधायक मेरे साथ थे। यह मुकदमा इतने लंबे समय तक चलना ही नहीं चाहिए था। हम सभी पढ़े-लिखे लोग हैं, सोच-समझकर विलय का फैसला लिया था। झाविमो विधायक प्रकाश राम भी आने वाले दिनों में हमारे साथ होंगे। हम चुनाव आयोग से झाविमो का चुनाव चिह्न रद करने की मांग करेंगे। झाविमो के विलय के बाद अब पार्टी महासचिव विधायक प्रदीप यादव निर्दलीय माने जाएंगे।

स्‍पीकर कोर्ट में आम दिनों की तुलना में बहुत अधिक भीड़ रही। खचाखच भरे अदालत में तिल रखने भर की जगह नहीं बची थी। जितनी कोर्ट के अंदर भीड़, उससे कहीं अधिक बाहर अधिवक्ताओं, जन प्रतिनिधियों औऱ पत्रकारों का जमावड़ा लगा था। दलबदल मामले के आरोपति सभी छह विधायक झाविमो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तब झाविमो के अध्‍यक्ष बाबू लाल मरांडी ने स्‍पीकर कोर्ट में दलबदल का मामला दर्ज कराया था। फैसले से पहले भाजपा और झाविमो दोनों पार्टियों की सांसें थमी हुई थीं।

दलबदल के आरोपित छह विधायकों में से दो विधायक अभी झारखंड की रघुवर सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। फैसले से पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने मुलाकात की। विधायक नवीन जायसवाल वहां पहले से मौजूद थे। नवीन जयसवाल उन छह विधायकों में शामिल हैं जिन पर दलबदल मामले में फैसला आया है। इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास का ब्लडप्रेशर (96/147) बढ़ा हुआ है। डाक्टरों ने नियमित दवा लेने और व्यायाम करने की हिदायत दी है। बुधवार की सुबह स्‍पीकर दिनेश उरांव ने सोशल मीडिया पर छत्रपति शिवाजी का कोट पोस्‍ट कर हलचल बढ़ा दी।

क्‍या है मामला
विधानसभा चुनाव 2014 के बाद झाविमो के टिकट से जीत हासिल करने के बाद छह विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इनमें से दो अमर कुमार बाउरी (चंदनक्यारी) राज्य के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री हैं, जबकि रणधीर सिंह (सारठ) कृषि मंत्री। इनके अलावा जानकी प्रसाद यादव (बरकट्ठा) झारखंड राज्य आवास बोर्ड, गणेश गंझू झारखंड कृषि विपणन बोर्ड और आलोक चौरसिया वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं। झाविमो छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले एक अन्य विधायक नवीन जायसवाल (हटिया) हैं।

झाविमो के छह विधायकों के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने पर झाविमो ने इसे दलबदल का मामला करार दिया था। झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने 11 फरवरी तथा झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने 25 मार्च 2015 को स्पीकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में संबंधित विधायकों की विधानसभा की सदस्यता रद करने की मांग की गई थी। 15 फरवरी 2015 को स्पीकर कक्ष के बंद केबिन में तथा 25 मार्च 2015 से खुले इजलास में सुनवाई शुरू हुई।

कोर्ट ने इस मामले की अंतिम सुनवाई 12 दिसंबर 2018 को की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। लगभग चार वर्ष तक चले इस मामले में प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) ने 78 गवाहों की सूची दी थी, जिनमें से 57 की गवाही हुई। झाविमो की ओर से कुल आठ गवाहों ने अपना बयान दर्ज कराया। सुनवाई के लिए स्पीकर ने कुल 97 तिथियां मुकर्रर की थी, जबकि कुल 64 सुनवाई हुई। बहरहाल एक लंबे अंतराल के बाद आ रहे इस फैसले का इंतजार आम और खास दोनों ही वर्गों को था। अब  फैसला भाजपा के पक्ष में आने से पार्टी इसे न्‍याय की जीत बता रही है।

दोनों ही दलों को अपने पक्ष में फैसला आने की थी उम्मीद
वादी पक्ष (झाविमो) और प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) दोनों को ही अपने पक्ष में फैसला आने की उम्मीद थी। झाविमो के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव के अनुसार विधायकों का दूसरे दल में जाना पूरी तरह से दलबदल के मामले को स्थापित करता है। हरियाणा, तामिलनाडु, बिहार आदि राज्य इसके उदाहरण हैं। प्रतिवादी पक्ष का यह दावा था कि झाविमो के दो तिहाई विधायकों के चले जाने से पार्टी का स्वत: विलय हो गया है, यह पूरी तरह से निराधार है। एक बार में चार और दूसरी बार में दो विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ली। इस तरह दो तिहाई की बात यहीं खारिज हो जाती है।

विलय के लिए यह भी जरूरी है कि इससे संबंधित बैठक पार्टी अध्यक्ष बुलाए, जिसमें केंद्रीय समिति के सदस्यों की उपस्थिति हो, लेकिन बैठक दल बदलने वाले विधायकों में से एक जानकी प्रसाद यादव की अध्यक्षता में बुलाई गई। बाबूलाल मरांडी आज भी झाविमो के अध्यक्ष हैं, निर्वाचन आयोग तक को यह पता है। ऐसे में उम्मीद है कि जीत हमारी ही होगी।

दूसरी ओर प्रतिवादी पक्ष के जानकी प्रसाद यादव का दावा है कि विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की, बल्कि पूरी पार्टी का ही विलय भाजपा में हो गया है। झाविमो के आठ विधायकों में से छह भाजपा में शामिल हो गए। चूंकि यह आंकड़ा दो तिहाई होता है, ऐसे में विलय को गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता। विलय पूरी तरह से संवैधानिक और विधिसम्मत है।

क्या होगा फैसले का असर
स्पीकर कोर्ट ने विधायकों के दलबदल को सही करार दिया है ऐसे में उनकी सदस्यता बच गई है। भाजपा अब पूरे मनोयाेग से इस फैसले को लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। फैसला खिलाफ में जाने पर विधायकों की संख्या घटकर 37 रह जाती। ऐसे में सरकार की स्थिरता पर भी संकट खड़ा होता और आजसू समेत निर्दलीय विधायकों पर निर्भरता बढ़ जाती। अब फैसला दलबदल करने वाले विधायकों के पक्ष में आया है तो झाविमो इस मामले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कह रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.