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2014 के बाद हुए कई राज्‍यों के विधानसभा चुनाव बड़े उलटफेर भरे रहे, जानें कैसे

भाजपा द्वारा केंद्र में प्रचंड बहूमत से सरकार बनाने के बाद से यह पहला मौका है कि जब भाजपा पांच राज्‍यों के हुए विधानसभा चुनावों में कहीं भी नहीं आई।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 07:31 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 07:57 PM (IST)
2014 के बाद हुए कई राज्‍यों के विधानसभा चुनाव बड़े उलटफेर भरे रहे, जानें कैसे
2014 के बाद हुए कई राज्‍यों के विधानसभा चुनाव बड़े उलटफेर भरे रहे, जानें कैसे

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। भाजपा द्वारा केंद्र में प्रचंड बहूमत से सरकार बनाने के बाद से यह पहला मौका है कि जब भाजपा पांच राज्‍यों के हुए विधानसभा चुनावों में कहीं भी नहीं आई। इससे पहले कई विधानसभा चुनाव हुए जिसमें भाजपा ने भगवा परचम को भारत के ज्‍यादातर हिस्‍सों में लहराया। एक समय यह तक कहा गया कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसके लिए सिर्फ चुनाव में जीत मायने रखती है, फिर चाहे वह निकाय चुनाव हो या संसदीय चुनाव। ऐसा न सिर्फ कहा गया बल्कि ऐसा देखने को भी मिला। हर चुनाव के बाद पार्टी दूसरे चुनाव की तैयारियों में जुटती दिखाई दी।

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हाथ लगी निराशा
लेकिन वर्तमान में उसको पहली बार इस तरह की निराशा हाथ लगी है। भाजपा के हाथों से राजस्‍थान और छत्तीसगढ़ जहां निकल चुका है वहीं मध्‍य प्रदेश में अब भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। इसके अलावा तेलंगाना में टीआरएस ने जबरदस्‍त वापसी की है। मिजोरम में भाजपा ने एमएनएफ से गठबंधन किया था जो सत्ता में वापस आई है। बता दें कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा पिछले 15 वर्षों से काबिज थी।

2014 के बाद हुए चुनावों के उलटफेर
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से यदि आज तक के समय पर नजर दौड़ाई जाए तो यह भी साफ हो जाता है कि‍ ज्‍यादातर राज्‍यों में सत्ताधारी पार्टी को इससे हाथ धोना पड़ा है। आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद जब देश की राजधानी दिल्‍ली में विधानसभा चुनाव हुए थे तो उम्‍मीद की जा रही थी कि यहां सत्ता पर काबिज कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार का जलवा या तो कायम रहेगा नहीं तो इसमें भाजपा सेंध लगा लेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिल्‍ली में एक ऐसी पार्टी ने दस्‍तक दी जो इस क्षेत्र में पूरी तरह से नई थी। उसने दिल्‍ली से भाजपा को जहां सत्ता से बेदखल कर दिया था वहीं कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी थी।

कांग्रेस के हाथों से निकलते गए राज्‍य
2014 के बाद जहां विधानसभा चुनाव हुए वहां पर कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा और लगातार उसके हाथों से राज्‍य निकलते चले गए। इसमें महाराष्ट्र, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। कर्नाटक से भी कांग्रेस बाहर हो गई। पंजाब की जहां तक बात की जाए तो यहां पर अकाली दल और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में वहां पर सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ा और सत्ता से बाहर हो गई।

यूपी का उलटफेर
ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में भी हुआ। वहां 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जोरदार एंट्री मारी थी, लेकिन 2017 में वही पार्टी सत्ता से बाहर हो गई और वहां पर भाजपा ने वर्षों बाद अपनी सरकार बनाई। ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश में देखने को मिला था जहां टीडीपी ने कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस को हराकर सत्ता हासिल की।

कुछ पार्टियों ने बचाई सत्ता
इस हवा में यदि कुछ पार्टियां राज्‍यों में अपनी सरकार बचा सकीं तो उनमें तृणमूल कांग्रेस, जदयू ओर बीजद शामिल है। इन तीनों ने पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में दोबारा सरकार बनाई। हालांकि गुजरात में भी भाजपा एक बार दोबारा वापस आई लेकिन उसको इसके लिए जीतोड़ कोशिश करनी पड़ी। ऐसा ही राज्‍य गोवा भी रहा जहां भाजपा ने दोबारा सरकार बनाई। लेकिन इसके लिए उसको काफी मशक्‍कत करनी पड़ी थी। इतना ही नहीं कई दलों ने इसके लिए भाजपा की निंदा तक की थी।

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