WHO को अमेरिकी फंडिंग रोकने के बाद ट्विटर पर आई कमेंट्स की बाढ़, जानें कैसा है लोगों का रिएक्शन
विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से फंडिंग रोकने के बाद ट्विटर पर इस कदम को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। कुछ ट्रंप के समर्थन में हैं तो कुछ विरोध में हैं।
वाशिंगटन। अमेरिका ने पिछले कुछ दिनों से लगातार विश्व स्वास्थ्य संगठन को बुरा-भला कह रहा है। अब राष्ट्रपति ट्रंप ने संगठन को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगाने का एलान कर दिया है। इसको लेकर अमेरिकियों में गुस्सा साफतौर पर देखा जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने जब डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकने के बाबत ट्वीट कर इसकी जानकारी दी जो इसके साथ ही लोगों की प्रतिक्रिया भी इस पर शुरू हो गई, लेकिन इन प्रतिक्रियाओं को बताने से पहले आपको इस विवाद की असली वजह बता देते हैं।
दरअसल, अमेरिका के डब्ल्यूएचओ से खफा होने की सबसे बड़ी वजह संगठन के महानिदेशक का वो बयान है जिसमें उन्होंने चीन की कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए की गई तैयारियों को लेकर वहां की सरकार की तारीफ की थी। इसके बाद भी संगठन की तरफ दिए गए कुछ बयानों में चीन के किए गए उपायों को लेकर वहां की सरकार की सराहना की गई थी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ दुनियाभर में जारी कोरोना महामारी को लेकर चीन केंद्रित हो गया है। उन्होंने कहा कि हम डब्ल्यूएचओ को दी जानी धनराशि को रोकने जा रहे हैं। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने इस बात की जानकारी दी थी। उन्होंने ये भी कहा कि संगठन को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका ही देता है। इसके बाद भी संगठन ने अब तक जो कदम उठाए वो गलत थे। उन्होंने कहा कि संगठन लगातार हमारी आलोचना कर रहा है। इतना ही नहीं, जब यात्राओं पर रोक लगाई गई तब भी संगठन के महानिदेशक ने इस कदम की निंदा की थी ऐसा लगता है कि वे चीन केंद्रित हो गए हैं।
इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि संगठन के पास काफी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने हमें पूरी जानकारी नहीं दी। आपको बता दें कि एक अमेरिकी सिनेटर ने तो महानिदेशक के इस तरह के बयानों की जांच करने तक की मांग कर दी थी। ये सिलसिला लगातार पिछले कुछ दिनों से बदस्तूर जारी था। चीन जहां संगठन के बयानों को अपने हक में इस्तेमाल कर रहा था। वहीं, अमेरिका इसको चीन पर हमले के तौर पर ले रहा था। अब संगठन को फंडिंग रोकने के एलान के बाद कई लोगों ने इस वायरस के प्रकोप को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप को ही आड़े हाथों लिया है।
राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट के जवाब में चाइना डेली के ब्यूरो चीफ चेन वीहुआ ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि अमेरिका ने इस तरह का कदम केवल दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए ही उठाया है। वो जानते हैं कि कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने में वे नाकाम रहे हैं। राष्ट्रपति के उठाए गए कदमों की वजह से अमेरिकी आहत हैं। यदि अमेरिका दो माह पहले दी गई विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी को समझकर कदम उठा लेता तो आज उसको ऐसे दिन देखने नहीं पड़ते। उन्होंने ये भी लिखा है कि ट्रंप को इन चेतावनियों को पढ़ना चाहिए।
मिया फेरो ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि हम सभी जानते हैं कि पीटर नवारो ने जनवरी में ही इसको लेकर सारी जानकारी दे दी थी, लेकिन सरकार फिर भी सही कदम उठाने से चूक गई। इसका नतीजा है कि आज 12 हजार से अधिक लोग अमेरिका में इसकी वजह से मारे जा चुके हैं।
एक यूजर निक जैक ने लिखा कि ये सब झूठ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30 जनवरी को दुनिया में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की थी और 31 जनवरी को राष्ट्रपति ने यात्राओं पर रोक लगा दी थी। ट्रंप ने पहली बार इस बीमारी को लेकर 18 जनवरी को जानकारी दी थी। इसमें उन्होंने इसको खतरनाक माना था। इसके बाद 22 जनवरी को राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर इसकी जानकारी दी और कहा कि सब कुछ नियंत्रण में है।
कूल क्वाइट कंपनी के सीईओ यूगेन ने अपने ट्वीट में लिखा कि WHO ने कोई झूठ नहीं बोला है, बल्कि राष्ट्रपति ने झूठ बोला है। अमेरिका ने चीन को भारी मात्रा में दवाएं और प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट्स भेजे थे और अपने लिए कुछ नहीं रखा। समय और मानवता के लिए उठाया गया कदम एकदम सही था, लेकिन उसकी वजह से अब अमेरिकन के पास बचाव का जरिया नहीं बचा ये भी एक सच्चाई है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि सीडीसी ने माना था कि इस वायरस की वजह से अमेरिका में काफी कुछ बुरा हो सकता है जो यहां की जिंदगी को बदल कर रख देगा। राष्ट्रपति को छोड़कर हर किसी ने इसको माना था। इसके बाद भी राष्ट्रपति इसको फ्लू बताते रहे।
राष्ट्रपति अब अपनी गलतियों का ठीकरा डब्ल्यूएचओ पर फोड़ रहे हैं। वरिष्ठ लेखक विली ने राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट के जवाब में लिखा कि ये कदम आप उठा सकते हैं चीन नहीं। अर्थशास्त्री डेविड रुथचाइल्ड ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि कोरोना वायरस के शुरू होने के बाद और यात्राएं प्रतिबंधित किए जाने तक चार लाख से अधिक लोग चीन से अमेरिका में आए।
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