गंगा के लिए अब विश्वव्यापी आंदोलन की तैयारी
दिल्ली में गंगा मुक्ति महासंग्राम का श्रीगणेश करने के बाद संत समाज अब गंगा अभियान को विश्वव्यापी बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
वाराणसी। दिल्ली में गंगा मुक्ति महासंग्राम का श्रीगणेश करने के बाद संत समाज अब गंगा अभियान को विश्वव्यापी बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पूरी कोशिश प्रयाग में आयोजित कुंभ से पहले गंगा की अविरलता सुनिश्चित कराने की है।
विश्वव्यापी गंगा अभियान का पूरा कार्यक्रम भी तैयार हो चुका है, बस इंतजार जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के 23 को काशी आगमन और उनकी मुहर लगाने का है। शंकराचार्य के काशी आगमन और तीन जुलाई से लग रहे चातुर्मास में संतों की व्यस्तता को देखते हुए 30 जून को ही देश के संत प्रमुखों व गंगा भक्तों की दिल्ली में दो दिनी विशेष बैठक बुलाई गई है ताकि शंकराचार्य के गंगा आंदोलन के बाबत काशी में लिए गए नीतिगत फैसले को दिल्ली की बैठक में व्यावहारिक स्वरूप दिया जा सके।
क्या है प्लान- गंगा आंदोलन के बाबत जो कार्यक्रम तैयार किया गया है उसमें तपस्या जारी रखते हुए गंगा अभियान को अंतरराष्ट्रीय पटल पर विस्तार देना है। इसमें प्राथमिकता विश्व के कोने-कोने तक गंगा यात्रा पहुंचा कर वहां प्रवास कर रहे भारतीयों के बीच जाहृवी की पुकार पहुंचाने की है। प्रांतीय व जिला स्तर पर भी गंगा यात्रा निकाली जाएगी। इस रोडमैप में पदयात्रा व छोटी सभाओं के जरिए जन जागृति पैदा करने और गंगा में गिर रहे बड़े नालों के निकट धरना का भी कार्यक्रम प्रस्तावित है। इनका मकसद 30 सितंबर को चातुर्मास समाप्त होने तक गंगा आंदोलन की एक मजबूत बुनियाद खड़ी करने का है। साथ ही 25 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रस्तावित संतों और गंगा भक्तों का जुटान और विश्वस्तरीय रूप देने का है।
गंगा की दशा से दु:खी हैं प्रवासी भारतीय : स्वामी योगी आनंद
गंगा अभियान में शिरकत करने अमेरिका से काशी आए गीता वाचक स्वामी योगी आनंद ने कहा गंगा की मौजूदा दशा से विश्व के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीय काफी दु:खी हैं। उनमें गंगा को अविरल-निर्मल देखने की अभिलाषा है और वे इस दिशा में हर संभव सहयोग देने के लिए आतुर भी हैं। मूलत: गाजीपुर के स्वामी योगी आनंद 20 वर्ष से अमेरिका में ही रह रहे हैं।
अविरलता बेहद जरूरी : रमा रावरकर
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की विशेषज्ञ सदस्य रमा रावरकर ने गंगा की दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने फोन पर कहा कि अकेले वह नहीं देश के सारे वैज्ञानिक प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से बोल रहे हैं कि गंगा की अविरलता बेहद जरूरी है। इसके बाद भी गंगा पर बांधों की श्रृंखला जारी है जो आश्चर्य का विषय है। बताया, गंगा केवल देश नहीं पूरे विश्व की धरोहर है। इसके सूखते ही भारत के 46 फीसदी लोगों का जीवन गहरे संकट में आ जाएगा। कहा कि काश, 15 वर्ष पूर्व यह तपस्या शुरू हुई होती तो टिहरी डैम न बन पाता और गंगा की ऐसी दशा न होती।
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