गुरुनानक देव जी का मना प्रकाशोत्सव
सिख समुदाय के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज का 543 वां प्रकाश उत्सव बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। सिख घरों में विशेष सजावट की गई थी। लोगों ने एक दूसरे को पर्व की बधाई दी।
वाराणसी,इलाहाबाद। सिख समुदाय के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज का 543 वां प्रकाश उत्सव बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। सिख घरों में विशेष सजावट की गई थी। लोगों ने एक दूसरे को पर्व की बधाई दी। मुख्य आयोजन गुरुद्वारा गुरुबाग में हुआ। सुबह से देररात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इसमें सिख समुदाय के अलावा अन्य धर्मावलम्बी भी शामिल थे। अल-सुबह 3.30 से 4.15 तक गुरुग्रंथ साहिब जी महाराज का शाहाना स्वागत किया गया। सुबह से दोपहर तक व शाम से रात तक भाई मनप्रीत सिंह कानपुरी, भाई सिमरनजीत व भाई गुनदीप सिंह हजूरी रागी जत्था (अमृतसर) ने शबद कीर्तन से संगत को निहाल किया। सतिगुरु नानक प्रगटिआ-मिटी धुधु जगि चानणु होआ, जिउ करि सूरज निकलिआ तारे छिपे अंधेर पलोआ।
शबद कीर्तन के दौरान काफी लोग उपस्थित थे। रात को अखण्ड पाठ की समाप्ति हुई। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से आयोजित समारोह में लोगों के उल्लास का ठिकाना नहीं रहा। सिख धर्म के विद्वान भाई गुरुदास की वाणी को सुंदर ढंग से पेश किया-सुनि पुकार दातार प्रभु गुरुनानक जग मोहि पठाया, कलयुग बाबे तारिया सतनाम पढ़ मंत्र सुनाया.इसके अलावा संगीतमय प्रस्तुति से वातावरण को भक्तिमय बना दिया-जिनी नामु धिआइया, गए मसकति घालि, नानक, ते मुख उजले, केती छुट्टी नालि। तत्पश्चात सुनाया-सति गुरुनानक प्रगटिआ मिटी धुंधुजागी चनाणु हैआ, जिऊ करि सूरज निकलिआ, जिऊ करि सूरज निकलिआ तारे छिपे अंधेर पलोआ। कीर्तन के दौरान सम्पूर्ण गुरुद्वारा खचाखच भरा था। इनके अलावा सनबीम स्कूल के बच्चों ने दीपक मधोक व भारती मधोक के निर्देश पर हुए कीर्तन से संगत को निहाल किया। सभी पुरुष, महिलाओं व बच्चों के सिर ढके थे। गुरुनानक खालसा बालिका इंटर कालेज के प्रांगण में सायं 4 बजे तक गुरुमहाराज का अटूट लंगर चला। इसको हजारों लोगों ने चखा। प्रकाश उत्सव के अवसर पर गुरुद्वारा की आकर्षक सजावट की गई थी।
विदेशों में विभिन्न नामों से याद करते हैं गुरुनानक देव जी महाराज को सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज को विभिन्न नामों से याद किया जाता है। गुरुद्वारा गुरुबाग के मुख्यग्रंथी भाई सुखदेव सिंह ने बताया कि अरब देशों में पीरबाबा नानक शाह, तिब्बती लोग नानकलामा या भद्रागुरु के नाम से पूजते हैं। श्रीलंका में नानक बुद्धा के नाम से प्रचलित हैं। भूटान, सिक्किम, नेपाल आदि देशों में रिमपोजे के नाम से श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हैं।
वाहेगुरु के जाप में रमे रहे भक्त-
धार्मिक एकता के प्रतीक, मानवता के महान पुजारी सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर श्रद्धा और उल्लास का माहौल रहा। बुधवार की सुबह से गुरुद्वारों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। बुजुर्ग, युवा, महिला, बच्चे मन ही मन वाहे गुरु-वाहे गुरु का जाप करते हुए श्रीगुरु ग्रंथ साहिब की दर पर मत्था टेका। खुल्दाबाद गुरुद्वारा में श्री गुरु सिंह सभा की ओर से आयोजित प्रकाश उत्सव में दिल्ली से आए भाई बलजीत सिंह, भाई गुरमीत सिंह ने नीचा अंदर नीच जात नींची हूं अति नीच-नामक तिनके संग साथ वडियां स्यों क्या रीस।। से गुरु की महिमा का बखान किया। भाई बलजीत सिंह ने बताया कि गुरु नानक ने स्वयं के सिद्धांतों पर चलकर जात-पात के भेदभाव को मिटाने का काम किया था। हमें गुरु के बताए मार्ग पर चलकर धार्मिक एकता के लिए काम करना चाहिए। हजूरी रागी भाई मंजीत सिंह ने कहा कि मानव की सेवा करना ही गुरुनानक का सच्चा संदेश है जिसका सबको पालन करना चाहिए। इसके बाद विशाल लंगर का आयोजन हुआ, जिसमें हर जाति-धर्म के लोगों ने प्रसाद छका। श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार जोगिंदर सिंह ने लोगों का आभार व सरदार प्रीतम सिंह ने संचालन किया। वहीं गुरुद्वारा पक्की संगत में सुबह सबद-कीर्तन का आयोजन हुआ। गुरुद्वारा मीरापुर में भजन-कीर्तन के साथ लंगर का आयोजन हुआ। सिख संगत की ओर से सदियापुर में धार्मिक कार्यक्त्रम का आयोजन हुआ।
सामाजिक एकता का दिया संदेश-
गुरुनानक के पावन प्रकाश उत्सव सिविल लाइंस स्थित आइस फैक्ट्री में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। सुबह तीन दिनों से चल रहे श्री अखंड पाठ साहिब की समाप्ति हुई। फिर रागी जत्था हरवेंदर सिंह एवं महंत देवेंदर सिंह, ज्ञानी बाज सिंह, भाई गुरप्रीत सिंह ने हृदयस्पर्शी कीर्तन से भक्तों को निहाल कर दिया। शाम को गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने कहा कि गुरुनानक ने सामाजिक एकता व प्रेम का संदेश दिया, जिसका हर मानव को अनुसरण करना चाहिए।
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