हजारों लोगों ने फल्गु में लगाई डुबकी
कार्तिक मास की पूर्णिमा को लेकर बुधवार अंत:सलिला फल्गु नदी में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किए। स्नान करने के बाद विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना की। बुधवार की सुबह से ही स्नान करने वालों की भीड़ इस नदी के विभिन्न घाट पर देखी गई।
गया। कार्तिक मास की पूर्णिमा को लेकर बुधवार अंत:सलिला फल्गु नदी में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किए। स्नान करने के बाद विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना की। बुधवार की सुबह से ही स्नान करने वालों की भीड़ इस नदी के विभिन्न घाट पर देखी गई।
विशेषकर महिलाओं की भीड़ थी। जिनमें वैसी महिलाएं जो पूरे कार्तिक महीने में पवित्र स्नान के व्रत को रखी थीं। वे अंतिम दिन पूर्णिमा स्नान करने के बाद दान आदि पुनीत कार्य की। विष्णुपद मंदिर में पूजा-अर्चना को ले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से भी पवित्र स्नान को काफी संख्या में लोग फल्गु नदी के देवघाट, पितामहेश्र्र्वर घाट, रामशिला घाट आदि घाटों पर पहुंचे। निगम तथा जिला प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए कुछ विशेष व्यवस्था की गई थी।
वहीं, दूसरी ओर नवनिर्मित रामशिला घाट पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। यहां स्नान के बाद रामशिला स्थित गणेश व शिव मंदिर में लोगों ने पूजा अर्चना की।
संतों ने किया दूसरा शाही स्नान
बटेश्वर। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यूं तो देशभर से आये लाखों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी यमुना में स्नान कर भोले का अभिषेक किया। लेकिन इस पर्व के मौके पर साधु-सतों ने तीर्थ की परिक्रमा देकर दूसरा शाही स्नान किया। परिक्रमा मार्ग पर अस्त्र-शस्त्रों से हैरतअंगेज करतब भी दिखाए।
कार्तिक पूर्णिमा को मुख्य स्नान पर्व पर पांचवें महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान के लिए तीर्थ हजारों साधु, संतों की भीड़ उमड़ी। साधु-संतों और नागा बाबाओं ने बाबा बालकदास के नेतृत्व में तीर्थ की परिक्रमा दी। परिक्रमा के दौरान संत मुख्य मंदिर से जैन मंदिर शौरीपुर, वनखंडेश्र्र्वर मेला मार्ग, हनुमान गढ़ी, मनमथ वैराग्य बस्ती, गोकुलनाथ मंदिर से होते हुए पुन: मुख्य मंदिर पहुंचे। परिक्रमा के दौरान साधु, संतों नागा बाबाओं ने तलवार, भाला, फरसा, लाठी, गदा आदि अस्त्र-शस्त्रों से हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन किया। तीर्थ में बाबा बालकदास व अन्य साधु, संतों ने हरि की पौढ़ी पर दूसरा शाही स्नान किया। शाही स्नान के बाद साधु-संतों को प्रसाद देकर विदाई दी गई। संतों ने बताया कि जिला पंचायत द्वारा इस वर्ष परिक्रमा मार्ग की सफाई ठीक नहीं करायी गई है। मनमथ से गोकुल नाथ मार्ग में संतों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। संतों की ओर से बताया गया कि तीसरा व अंतिम शाही स्नान दौज के मौके पर तीस नवंबर को होगा।
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