माई बाड़ा बना अब दशनामी संन्यासिनी का अखाड़ा
जूना अखाड़ा ने माई बाड़ा को दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का स्वरूप प्रदान कर दिया है। महिला साधुओं की पिछले एक दशक से चली आ रही मांग पर अखाड़े ने सहमति देकर मुहर लगा दी है।
इलाहाबाद। जूना अखाड़ा ने माई बाड़ा को दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का स्वरूप प्रदान कर दिया है। महिला साधुओं की पिछले एक दशक से चली आ रही मांग पर अखाड़े ने सहमति देकर मुहर लगा दी है। कुंभ क्षेत्र में माई बाड़ा का पूरा चोला बदल गया है। लखनऊ के श्री मनकामेश्र्र्वर मंदिर की प्रमुख महंत दिव्या गिरी को संन्यासिनी अखाड़े का अध्यक्ष बनाया गया है।
जूना अखाड़े में दस हजार से अधिक महिला साधु संन्यासी हैं। अखाड़ा कुंभ पर्व में महिला संन्यासियों के लिए माई बाड़ा नाम से शिविर स्थापित करता रहा है। यह शिविर जूना अपने ठीक बगल में बनवाता था। माई बाड़ा की अपनी कोई स्वतंत्र पहचान नहीं थी और न ही ंउनकी धर्मध्वजा अलग थी। महिला साधुओं की सभी धार्मिक गतिविधियां जूना अखाड़े के साथ सम्मिलित थीं। इस बीच अखाड़े में महिला साधुओं की संख्या बढ़ने पर उन्होंने अपने अलग अस्तित्व की मांग उठाई। माई बाड़ा नाम को लेकर आपत्ति दर्ज की। जूना अखाड़े के सचिव महंत हरि गिरी ने बताया कि प्रयाग में पिछले दिनों महिला संन्यासियों की मांग पर विचार करने को बैठक बुलाई गई थी। बैठक में यह माना गया कि माई बाड़ा नाम ठीक नहीं है।
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